Home » Culture » देसी शराब के एक ब्रांड का नाम काफल और माल्टा पर रखे जाने पर उत्तराखंड में कुछ लोगों की भावनाएं को ठेस पहुंची है!

देसी शराब के एक ब्रांड का नाम काफल और माल्टा पर रखे जाने पर उत्तराखंड में कुछ लोगों की भावनाएं को ठेस पहुंची है!

देसी शराब के एक ब्रांड का नाम काफल और माल्टा पर रखे जाने पर उत्तराखंड में कुछ लोगों की भावनाएं को ठेस पहुंची है! ऐसा नहीं है कि काफल और माल्टा एक्सक्लूसिवली उत्तराखंड में ही फलते हों। पूरी हिमालयन बेल्ट में ये दोनों फल मिलते हैं। काफल तो खैर जंगलों में यूं ही होता है, लेकिन जिनके घरों में माल्टा होता है वहां भी कई लोग परेशानी बयां करते हैं कि या तो पूरा दाम नहीं मिलता या फल को मार्केट तक पहुंचना कठिन हो जाता है। कुछ समय पहले Kumaon&I नाम से एक “ड्राई जिन” मार्केट में आई और देश के सबसे उम्दा शराब ब्रांड्स में शामिल हो गई।

“ड्राई जिन” कुमाऊं की एक डिस्टलरी में बनती है। मैन्युफैक्चरर्स का दावा है कि “जिन” के लिए पानी हिमालय की नदियों से प्रोक्योर किया जाता है। इसमें गलगल, हाई एल्टीट्यूड की हल्दी जैसे कुछ प्रोडक्ट मिले हैं। जाहिर है जिनसे रॉ मैटेरियल लिया जाता होगा, उनको दाम भी मिलता होगा। डिजाइन भी बड़ा यूनिक है। कुमाऊनी ऐपण का बैकड्राप है। वैसे डिजाइन को लेकर अभी तक तो भावनाएं आहत नहीं हुईं। एक दूसरा हिमालय राज्य है सिक्किम। यहां एक वाइन का ब्रांड है जो बुरांश के फूलों से बनता है और ब्रांड का नाम भी बुरांश (rhododendron) पर है। अमूमन बुरांश की खेती नहीं होती और काफल की तरह बुरांश भी जंगलों में खिलता है। पड़ोसी राज्य हिमाचल का एक शहर है सोलन। यहां के नाम पर एक व्हिस्की बनती है जिसका नाम है “सोलन नंबर वन”। और ये आज से नहीं बल्कि कोई डेढ़ सौ साल से ज्यादा समय से बन रही है। इंटरेस्टिंग बात ये भी है कि उत्तराखंड में हर साल करीब 6 लाख लीटर से ज्यादा की शराब की खपत होती है। जाहिर है अल्कोहल को लेकर ऐसा कोई टैबू नहीं है। तो फिर भावनाएं आहत हो रही हैं! देवप्रयाग के पास कुछ समय पहले एक बॉटलिंग प्लांट ऑपरेशनल हुआ, जहां तीन या चार अलग-अलग ब्रांड की शराब की बॉटलिंग होती है। इस प्लांट से भी कुछ समय पहले भावनाएं आहत हुई थी, अब शायद वो रिपेयर हो गई हैं। वैसे ये बहस ईरान से निकलकर तुरान तक हो सकती है। मेरा मानना है अगर किसी इंडस्ट्रीज से उत्तराखंड के प्रोडक्ट्स या लोगों को फायदा मिलता हो तो क्या दिक्कत है।

यह भी पढ़िये :-  पूरी बाखली पलायन कर गयी जहां कभी खुशियाँ बसती थी। The entire Bakhli has fled where happiness used to live.

About

नमस्कार दोस्तों ! 🙏 में अजय गौड़ 🙋 (ऐड्मिन मेरुमुलुक.कॉम) आपका हार्दिक स्वागत 🙏 करता हूँ हमारे इस अनलाइन पहाड़ी 🗻पोर्टल💻पर। इस वेब पोर्टल को बनाने का मुख्य उद्देश्य 🧏🏼‍♀️ अपने गढ़ समाज को एक साथ जोड़ना 🫶🏽 तथा सभी गढ़ वासियों चाहे वह उत्तराखंड 🏔 मे रह रहा हो या परदेस 🌉 मे रह रहा हो सभी के विचारों और प्रश्नों/उत्तरों 🌀को एक दूसरे तक पहुचना 📶 और अपने गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति 🕉 को बढ़ाना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*