पंचाचूली की यात्रा के दौरान इस घर ने सचमुच मन मोह लिया। यह खूबसूरत पहाड़ी घर जैसे प्रकृति के समस्त सौंदर्य और शांति का प्रतीक हो। घर के सामने से दृश्य इतना अद्भुत था कि ऐसा लगता था जैसे हिमालय की त्रिशूल और मृगथुनी की बर्फ से ढकी चोटियां, अपनी सफेद चादर में लिपटी हुई, ठंडी हवाओं के साथ बर्फ के टुकड़े गिरा रही हों। इन चोटियों से आती ठंडी हवा में ताजगी और शांति का अहसास होता है। आसपास के हरे-भरे पहाड़ों पर चीड़, देवदार और बांज के ऊंचे-ऊंचे पेड़, घर को एक प्राकृतिक छांव प्रदान करते हैं, और पूरे वातावरण को गहराई और विविधता देते हैं।
यह घर पारंपरिक पहाड़ी शैली में बना है, जिसकी दीवारें मजबूत पत्थरों से बनी हैं और छत लकड़ी की ढलानदार है, ताकि सर्दियों में बर्फ आसानी से गिरकर हट जाए। घर के सामने एक बड़ा बरामदा है, जिसे स्थानीय भाषा में “चौक” कहा जाता है। इस चौक में बैठने के लिए बड़ी जगह है, जहां से दूर-दूर तक फैली घाटी का दृश्य देखा जा सकता है। आसपास रंग-बिरंगे पहाड़ी फूलों की क्यारियां महक रही हैं, जिनकी भीनी-भीनी खुशबू घर को एक प्राकृतिक ताजगी से भर देती है। इस माहौल में शांति और ताजगी का अनुभव होता है, जो किसी भी शहर की भीड़-भाड़ से कोसों दूर एक नई दुनिया का एहसास कराता है।
यह घर देखकर हर कोई यही कह उठता है, “काश मेरा भी इस जगह ऐसा घर होता।”
कैसे पहुंचे:
इस स्थान तक पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित है। काठगोदाम से आप टैक्सी या बस के द्वारा लगभग 4-5 घंटे में इस घर तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा, यदि आप दिल्ली या अन्य प्रमुख शहरों से यात्रा करना चाहते हैं, तो यहां तक पहुंचने के लिए हवाई यात्रा भी एक विकल्प है। नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर (Pantnagar Airport) है, जो लगभग 120 किलोमीटर दूर है।
कब जाएं:
यह स्थल सालभर यात्रा के लिए उपयुक्त है, लेकिन गर्मी के मौसम में (मार्च से जून) यहां का मौसम बहुत सुहावना और शांति प्रदान करने वाला होता है। सर्दियों में (नवंबर से फरवरी) बर्फबारी का आनंद लिया जा सकता है, लेकिन इस समय यात्रा के लिए उचित तैयारी की आवश्यकता होती है।