वो सो,भादो,अशोज का महीना
कद्दू ककड़ी लोंकी का लगिलो पर लगना
झंगोरे, कोणी, मडवे की बाली का आना
वो ईजा का राती को चाय पिलाना
बुबू का दिनभर हुक्का पीना
ना जाने कहा गए हैं वो दिन
चिड़ियों का आंगन पर चहचाना
बूढ़ी दादी का चिड़ियों को दाना खिलाना
गायों बल्दो और भेषों को धुंआ लगाना
मेढक का शाम को टर टराना
धीरे धीरे समापन होते हुए ये पल
तुमसे कहूंगा वापिस आओ मेरे आंगन में
फिर से नए दीप जलाओ मेरे घर में
वो भूम्याल और कुल देवता की पूजा कराओ
ये पलायन जैसी केंसर की बीमारी भगाओ
उत्तराखंड में सावन के महीने में प्रकृति की सुंदरता पर एक सूंदर कविता।
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