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पेंडुला – मैखंडी मोटर मार्ग पर काटल गांव के निकट बोलेरो दुर्घटना में तीन की दुखद मौत। 

टिहरी जिले के कीर्तिनगर विकासखंड में पेंडुला – मैखंडी मोटर मार्ग पर काटल गांव के निकट आज शाम एक बोलेरो गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें तीन युवकों की मौत की खबर है। एक युवक घायल हुआ है। मृतकों के नाम पंकज फोंदणी पुत्र कैलाश फोंदणी...

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लैंटाना की झड़ी जो मच्छरों को प्रतिकर्षित और कीट नाशक का काम भी करती है।

लैंटाना एक बहुवर्षीय मजबूत झाड़ी है, जो अधिक वर्षा और सूखा दोनों के प्रति सहनशील है। इसके एक ही गुच्छे में 2-3 रंगों के फूल देखने को मिल जाते हैं, जो समय के साथ-साथ रंग बदलते रहते हैं। इस पौधे से एक तीक्ष्ण गंध निकलती...

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आपने नागरमोथा का पौधा (Nagarmotha Plant) जरूर देखा होगा, लेकिन नागरमोथा के फायदे के बारे में नहीं जानते होंगे।

नागर मोथा नाम की घास है। ज्यादातर खेतो के आसपास यू ही उग जाती है। यह खेतों में छोटी प्रजाति का होता हैं।  नदी नालों में बड़ी प्रजाति का होता हैं।  छोटी प्रजाति में ख़ुशबू ज़ायदा होती हैं और दवाओं में काम आता हैं। इसका...

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उत्तराखंड की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म “असगार” इतिहास रचते हुए। Uttarakhand’s blockbuster film “Asgaar” creating history.

उत्तराखंड की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म “असगार” इतिहास पर इतिहास रचते हुए, “मेरु गौं “ के बाद उत्तराखंड के इतिहास में दूसरी ऐसी फिल्म जो पैन इंडिया प्रदर्शित हो रही है। कंल 20 सितंबर से बेंगलुरु व हैदराबाद के मल्टीप्लेक्स में रिलीज, चंडीगढ़ में धमाकेदार पहले हफ्ते...

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उत्तराखंड में स्वरोज़गार को प्राथमिकता देते हुए। Giving priority to self-employment in Uttarakhand.

रुद्रप्रयाग के जखोली गांव के युवा द्वारा बहुत बड़िया कारीगरी इन्होंने चीड़ के पेड़ की पत्तियों जिसे पिरुल पैरूल, पिलटू बोलते हैं उससे तरह-तरह की घरेलु उपयोग में आने वाले वस्तुओं का निर्माण किया है।

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मध्यमहेश्वर जहां भगवान शिव की नाभी की पूजा की जाती है।Madhyamaheshwar where the navel of Lord Shiva is worshipped.

पंचकेदार में द्धितीय स्थान में मध्यमहेश्वर को माना गया है। मध्यमहेश्वर में भगवान शिव की नाभी की पूजा की जाती है। मध्यमहेश्वर उत्तराखण्ड के गढ़वाल क्षेत्र के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 3289 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चारों और हिमालय पहाड़ो से घिरे...

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पत्तों से बनी पतरी(पत्तल )और मिट्टी से बने भुरका (कुल्हड़) में विवाह इत्यादि सभी कार्यक्रम में अतिथियों को भोजन खिलाया जाता था।

पत्तल और कुल्हड़! पत्तों से बनी पतरी(पत्तल )और मिट्टी से बने भुरका (कुल्हड़) में विवाह इत्यादि सभी कार्यक्रम में अतिथियों को भोजन खिलाया जाता था। सूर्य देवता के पश्चिम मुंह होते ही गांव के सभी लड़के काम में जुट जाते थे। सारे गांव में घूम...

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