नई टिहरी में हर वर्ष की भांति इस बार भी शरद – शिशिर में पय्यां (पदम) के फूलों के बाहर छा गई है। कुछ सालों से ये हफ्ते से दो हफ्ते पहले खिलने लगे हैं। दूसरी यह बात भी नोटिस की गई है कि पेड़ पर धीरे-धीरे खिलने की बजाय अब तेजी से 10 से 15 दिन में पूरी तरह खिलकर कोंपल और फिर पत्तियों आने लगी हैं।
हालांकि पय्यां फूलने का सीजन यही है। प्रायः नवंबर में खिलना शुरू होने के स्थान पर अब अक्टूबर में ही खेलने लगे हैं। नई टिहरी में इसके करीब 300 वृक्ष हैं। काफी संख्या में सड़कों के किनारे पूर्व के वर्षों में बाकायदा रोपे गए हैं। इस काम में कुछ योगदान हम जैसे साथियों का भी है।
इस बार नई बात मैंने यह भी नोटिस की है कि कुछ निचले क्षेत्र बौराडी से होते हुए ऊपरी क्षेत्र बुडोगी डांडा तक कुछ दिन के अंतराल पर खिलने वाले और साथ ही कम धूप वाले उत्तरी ढलान की तरफ भी बाद में खिलने वाले फूल इस बार लगभग एक साथ सब जगह खिल गए।
नई टिहरी में कलेक्ट्रेट से कॉन्वेंट स्कूल की ओर जाएं तो स्कूल की ओर की बाउंड्री दीवाल के बाहर एक लाइन में एक दर्जन के करीब वृक्षों पर एक साथ फूल खिल गए। हल्के पिंक रंग के होने के कारण और भी ज्यादा सुंदर लग रहे हैं। दिन भर इन वृक्षों पर सैकड़ो और हजारों की संख्या में मधुमक्खियां मंडराती रहती हैं
तो नई टिहरी के निवासी और बाहर से आने वाले लोग भी कहीं पर कुछ देर इन वृक्षों के पास खड़े होकर, गाडी रोककर भी इनकी सुंदरता को देख और मधुमक्खियों के मंडराने के संगीत को सुन सकते हैं।