पूरी बाखली पलायन कर गयी जहां कभी खुशियाँ बसती थी।
पूरी बाखली पलायन कर गयी जहां कभी खुशियाँ बसती थी। The entire Bakhli has fled where happiness used to live.


पूरी बाखली पलायन कर गयी जहां कभी खुशियाँ बसती थी।

पहले गांव के लोग गरीब थे तब तांबा पीतल के बर्तन में खाना बनाते थे। अब लोग अमीर हैं साहब स्टील अल्युमिनियम में खाना बनता है जय देव भूमि उत्तराखंड।

एक ऐसा वक्त जब उत्तराखण्ड राज्य और वहाँ बसे लोग गहरी निराशा से जूझ रहे हैं, समस्याओं का अंत दिखता नहीं लेकिन मैं फिर भी कहूंगा सपने-उम्मीदें बरकरार हैं। एक बार फिर हिमालय के पुत्र-पुत्रियों को कहूंगा कि अपने राज्य, ज़मीन, प्राकृतिक संम्पति के ब्रांड...

सबिता पहाड़ को मानती है, खजाना जितना मेहनत करो उतना कमाओ। जहां पहाड़ के युवा दस – बीस हजार की नौकरी के लिए अपने घर व खेतों को बंजर छोड़कर शहरों में 8 से 12 घंटे तक कमर तोड़ मेहनत को मजबूर होते हैं।...

वैसे तो ये हरे भरे शान्त दिखेंगे पर ध्यान से देखोगे तो इनके चीखने चिल्लाने की आवाज सुनाई देगी। कुछ मत करो बस अच्छे स्कूल,अस्पताल डॉक्टर के साथ,रोड और रोजगार की व्यवस्था कर दो।

नई टिहरी में हर वर्ष की भांति इस बार भी शरद – शिशिर में पय्यां (पदम) के फूलों के बाहर छा गई है। कुछ सालों से ये हफ्ते से दो हफ्ते पहले खिलने लगे हैं। दूसरी यह बात भी नोटिस की गई है कि पेड़...

उत्तराखण्ड के कुमाऊँ अंचल में दीपावली के अवसर पर घरों में ऐपण डालने की लोक परम्परा है . ऐपण के लिए सबसे पहले चावलों को आवश्यकतानुसार भिगाया जाता है . उसके बाद उन्हें सिलबट्टे पर बारीक पीस लिया जाता है . पीसने के बाद उसका...

पहाड़ियों की पहली पसन्द है चाय और हर जगह की कोई न कोई चीज जरूर फेमस होती है। ऐसे ही रथुवाढाब में तिलक बहादुर की चाय ,,चाहा,, बहुत फेमस है। ये बहुत पुरानी दुकान है, कोटद्वार से जो भी बस जीप इस मोटर मार्ग से...

यह डिग्गी इसलिए बनाया जाता है जो पानी इसमें इकट्ठा होता है दो-तीन दिन में उसे खेतों की सिंचाई की जाती है और बच्चों के नहाने के लिए स्विमिंग पूल भी बन जाता है आप नहाए कभी ऐसे डिग्गी में बल

पहाड़ों में महिलाओं की मेहनत कढ़कती धूप में दिन भर घास का काटना साथ में शाम को 40 kg का बोझ पीठ पर ले जाना वास्तव में पहाड़ों का जीवन बहुत ज्यादा व्यस्त और कठिनाई भरा है क्या आपने अपने काम को खत्म कर दिया...