एक जमाना था जब सांझ होते ही सब के दुआर पर किरोसीन वाला लालटेन टंगा रहता था अब तो 20घंटे से अधिक बिजली रहती है। आखिरी बार आपने लालटेन कब इस्तेमाल किया था?
एक जमाना था जब सांझ होते ही सब के द्वार पर किरोसीन वाला लालटेन टंगा रहता था।

एक जमाना था जब सांझ होते ही सब के दुआर पर किरोसीन वाला लालटेन टंगा रहता था अब तो 20घंटे से अधिक बिजली रहती है। आखिरी बार आपने लालटेन कब इस्तेमाल किया था?
असूज के महीने की गर्मी मैं पहाड़ी ककड़ी खाने का मन किस किस का हो रहा है।
मिसाल दे रहे हैं पौड़ी के खण्डूड़ी दंपति। रिटायरमेंट के बाद शहरो का रुख करने के बजाय। खण्डूड़ी दंपति ने गाँव का रुख किया व 80 नाली बंजर भूमि को कर दिया आबाद। अपने कुशल व्यवहार के लिए श्रीनगर शहर में जाने पहुचाने जाने वाले...
फिर आ गया अशोज! जिसका हर पहाड़ी को इंतजार रहता ! जी हां हर पहाड़ी को ! जहां पहाड़ में रहने वाले की सारी दिनचर्या बदल जाती है और वो कमरकस के तैयार हो जाता है इस काम के महायुद्ध में दो दो हाथ करने...
यह हिमालय क्षेत्र में पाया जाने वाला औषधि गुन से भरपूर एक फल है। जो उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश नेपाल और पर्वतीय इलाकों में पाया जाता है।हिसालू जंगली लेकिन रस से भरा हुआ फल है. यह दिखने में जितना आकर्षक है, उतना ही औषधीय गुणों से...
उत्तराखंड में पहाड़ी शैली के सुंदर मकान। Beautiful hill style houses in Uttarakhand.
तत्कालीन पंचायत पोशना के अंतर्गत ग्राम बिहाडी के दोनों भाइयों की जोड़ी काफी मशहूर थी।इन्हें राम लक्ष्मण के नाम से जाना जाता था।इन दोनों ने विवाह नही किया।राम लक्ष्मण दोनों साथ रहते थे।ये कलयुग के राम लक्ष्मण कहलाए।अब दोनो इस दुनिया मे नही है।
पत्तल और कुल्हड़! पत्तों से बनी पतरी(पत्तल )और मिट्टी से बने भुरका (कुल्हड़) में विवाह इत्यादि सभी कार्यक्रम में अतिथियों को भोजन खिलाया जाता था। सूर्य देवता के पश्चिम मुंह होते ही गांव के सभी लड़के काम में जुट जाते थे। सारे गांव में घूम...
पहाड़ी क्षेत्रों में होटलो का जो स्वरूप था अब वह बदल रहा है वहां पर छोटे-छोटे कॉटेज नुमा घर बन रहे हैं जो दिखने में बहुत सुंदर और आकर्षक लगने के साथ ही साथ प्रकृति के बीच में होने का भरपूर एहसास दिलाते हैं अब...
90s के वक्त गाँव की शादी समारोह में न टेंट हाऊस थे और न कैटरिंग, थी तो बस सामाजिकता। गांव में जब कोई शादी ब्याह होते तो घर घर से चारपाई आ जाती थी, हर घर से थरिया, लोटा, कलछुल, कराही इकट्ठा हो जाता था...