Home » Chamoli » फ्लाइंग गर्ल’ भागीरथी पहाड़ की पगडंडियों से हैदराबाद के मैदान तक मनाया अपनी प्रतिभा का लोहा। 

फ्लाइंग गर्ल’ भागीरथी पहाड़ की पगडंडियों से हैदराबाद के मैदान तक मनाया अपनी प्रतिभा का लोहा। 

हर साल भारत में 29 अगस्त का दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। खेल दिवस पर आज बात पहाड़ की एक होनहार प्रतिभाशाली खिलाड़ी की, जिसने पहाड़ की कंदराओं में अपने सुनहरे भविष्य की उम्मीदों का ख्वाब बुना। पहाड़ जैसी विषम परिस्थितियों का सामना करके अपना मुकाम खुद बनाया है। उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाॅक के वाण गांव की भागीरथी अपनी रफ्तार से दुनिया को हतप्रभ करने की तैयारी कर रही है। महज 22 साल की इस बालिका को स्थानीय लोग फ्लाइंग गर्ल के नाम से पुकारते हैं। रविवार को तेलंगाना के हैदराबाद शहर में 42 किलोमीटर की ओपन मैराथन को भागीरथी विष्ट ने 3 घंटे 15 मिनट 15 सेकंड में पूरा करके तृतीय स्थान प्राप्त कर ट्राफ़ी और 2 लाख रुपये की नगद धनराशि पुरुस्कार में जीती। इससे पहले भागीरथी जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़, अमृतसर, दिल्ली, नोएडा, ऋषिकेश में मैराथन जीत चुकी है। हैदराबाद मैराथन जीतने के बाद भागीरथी ने कहा की उसका सपना है देश के लिए ओलंपिक में सोने का तमगा जितना।
बेहद संघर्ष और अभावों में बीता जीवन। 

bhagirathi bisht uttarakhand
हिमालय के अंतिम वाण गांव की रहने वाली भागीरथी को संघर्ष और आभाव विरासत में मिला। महज तीन वर्ष की छोटी आयु में भागीरथी के पिताजी की असमय मृत्यु हो गयी थी। जिस कारण भागीरथी के पूरे परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पडा था। जैसे तैसे परिस्थियों से लडकर होश संभाला और कभी भी हार नहीं मानी। भागीरथी पढ़ाई के साथ साथ घर का सारा काम खुद करती थी यहाँ तक की अपने खेतों में हल भी खुद ही लगाया करती थी। मन में बस एक ही सपना है की एक दिन ओलम्पिक में देश के लिए पदक जीतना और अपनें गांव, राज्य, देश, कोच का नाम रोशन करना है। चाहे इसके लिए कोई भी कठिन प्रशिक्षण क्यों न करना पडे।

यह भी पढ़िये :-  उत्तराखंड की पहली महिला रेलवे असिस्टेंट लोको पायलेट अंजलि शाह। अंजलि पौड़ी गढ़वाल के रिखणीखाल निवासी हैं।

सर्वप्रथम स्कूल नें पहचानी थी प्रतिभा। 

फ्लाइंग गर्ल भागीरथी की प्रतिभा को सर्वप्रथम राजकीय इंटर कॉलेज वाण के शिक्षकों नें पहचाना। स्कूल के सभी शिक्षकों नें भागीरथी को प्रोत्साहित किया और हौंसला बढाया। स्कूल में भागीरथी हर खेल कब्बड्डी से लेकर खो खो, बाॅलीबाल, एथलेटिक्स में हमेशा अब्बल आती थी। जिस कारण स्कूली खेलों में जिले में वह प्रथम स्थान पर आती थी और राज्य स्तर पर किन्ही कारणों से पिछड जाती थी पर भागीरथी नें कभी भी अपना हौंसला नहीं खोया और न हार मानी। राजकीय इंटर कॉलेज वाण के शिक्षक सुरेंद्र सिंह दानू कहते हैं कि भागीरथी में ओलम्पिक खेलों में पदक जीतने का हौंसला और जज्बा है। स्कूल की खेलकूद प्रतियोगिता में वो लड़को को भी पटकनी दे देती थी। मुझे पूरा विश्वास है कि एक दिन वो स्कूल ही नहीं गांव, जनपद, राज्य और देश का नाम ऊँचा करेगी। पहाडों में अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने हेतु सुविधाएं नहीं के बराबर है इसलिए यहाँ की प्रतिभाये आगे नहीं बढ पाती है। हमें अपनी प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर देना है तो उन्हें समुचित सुविधाएं देनी होंगी। इसी साल भागीरथी नें राजकीय इंटर कॉलेज वाण से 12 की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। कोरोना की वजह से आगे की पढ़ाई के लिए उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कहाँ पढ़ाई करना है क्योंकि घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी की वो बडे स्कूल में एडमिशन ले सके।


‘सिरमौरी चीता’ सुनील शर्मा नें भागीरथी की काबिलियत को पहचान उसे प्रशिक्षण देने का जिम्मा उठाया। 

यह भी पढ़िये :-  सौम्या गर्ब्याल को SDM व शुभांगी सोनाल को राज्य कर अधिकारी के पद पर चयन होने पर बहुत बहुत बधाई।

अंतरराष्ट्रीय एथलीट और ग्रेट इंडिया रन फेम सुनील शर्मा जिन्हें सिरमौरी चीता भी कहा जाता है 5 साल पहले उत्तराखंड में ऊंची पर्वतमाला पर प्रैक्टिस करने के उद्देश्य से वाण गांव आये थे। यहीं उनकी मुलाकात फ्लाइंग गर्ल भागीरथी से हुई। वाण गांव से उन्होंने महज 36 घंटे में सबसे कठिन रोंटी रूट को बिना रूके और बिना संसाधनों के नाप कर एक रिकार्ड बनाया। जहां लोगों की सांसे जबाब देनी लग जाती है वहां सुनील शर्मा और भागीरथी नें इतनी ऊंचाई को आसानी से पार एक अदभुत मिसाल पेश की है। सिरमौरी चीता भागीरथी की क्षमता और प्रतिभा के कायल हो गये और अपनें साथ नाहन चलने का प्रस्ताव रखा तो भागीरथी को सहसा विश्वास ही नहीं हुआ। उसकी तो बिना मांगे ही मुराद पूरी हो चुकी थी। उसने वहां जाने की हामी भरी। फिर अपने भाइयों के संग वो अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स के साथ नाहन पहुंची ओर वहां नाहन काॅलेज में दाखिला ले लिया और वहा से स्नातक की पढ़ाई भी की ओर एथलेटिक्स की तैयारी भी जारी रखी। इस दौरान भागीरथी ने हिमाचल में कई प्रतियोगिताओं में सफलता के नये प्रतिमान हासिल किए।

पौड़ी में कर रही हैं तैयारी। 

हिमाचल में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद भागीरथी इन दिनों खेल विभाग के तत्वाधान में पौड़ी में एथलेटिक्स की तैयारी कर रही है। अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स सुनील शर्मा कहते है की भागीरथी में प्रतिभा कूट कूट कर भरी है। उन्हे उम्मीद है की भागीरथी एक दिन ओलम्पिक में प्रतिभाग करेगी और पदक जीतने में सफल होगी।

इन प्रतियोगिताओं में लहरा चुकी है जीत का परचम।

2024- 

  • तेलंगाना के हैदराबाद शहर में 42 किलोमीटर की ओपन मैराथन को भागीरथी विष्ट ने 3 घंटे 15 मिनट 15 सेकंड में पूरा करके तृतीय स्थान प्राप्त कर ट्राफ़ी और 2 लाख रुपये की नगद धनराशि पुरुस्कार
  • अमृतसर में 42 किमी बोर्डरमेन मैराथन में प्रथम स्थान, पुरस्कार में जीती 50 हजार की धनराशी
  • जवाहरलाल नेहरू माउंटिनेटिंग इंस्टीट्यूट-विंटर स्कूल और कश्मीर टूरिज्म की ओर से आयोजित 11 किलोमीटर की लिडरवेट ट्रेल मैराथन में प्रथम स्थान
यह भी पढ़िये :-  स्वरोजगार की मिसाल दे रही हैं पौड़ी की बसंती नेगी। Swarojgaar Ki Misal de rahi hai Pauri ki Basanti Negi.

2023- 

  • ऋषिकेश 50 किमी में प्रथम स्थान और 50 हजार की धनराशि
  • चंडीगढ़ हाफ और फुल मैराथन में प्रथम स्थान और 11-11 हजार की धनराशि
  • दिल्ली गुड़गांव मैराथान में प्रथम स्थान और 11 हजार की धनराशि

Related posts:

ये है अनिता नेगी, उत्तराखंड के पौड़ी जिले अंतर्गत गरूड़ चट्टी नीलकंठ मार्ग पर पिछले 30 सालों से पकोड़े...

Uttarakhand Latest

एमएफएन 15 के विजेता उत्तराखंड के लाल दिगंबर सिंह रावत। 

Khel-Khiladi

टेस्ला पाई मोबाइल-मोबाइल को चार्जिंग और इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता नहीं है।

Uttarakhand Latest

उत्तराखण्ड पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली शशि बनी नमकवाली आंटी जी ने पहाड़ी पिसे नमक को बनाया देश-विदेश म...

Pauri

उत्तराखंड के चमोली जिले के एक छोटे से गांव सुक्रिसैन में लगभग जब अंग्रेज हुआ करते थे उस वक्त बना हुआ...

Our Village

उत्तराखंड का उभरता हुआ लोक गायक गायक राकेश जोशी का नया गाना “हिट दे साली”

Uttarakhand Latest

रुद्रप्रयाग के त्रियुगीनारायण गांव की प्रियंका योगी तिवारी अपनी वीडियो के माध्यम से पहाड़ के लोगों क...

Uttarakhand Latest

इंजीनियर प्रवीन और उनकी पत्नी सोनी को नहीं पता था कि यह उनका आखिरी सफर होगा।

Uttarakhand Latest

पित्रों की भूमि को नहीं छोड़ पाए देवेन्द्र ग्राम उमड़ा पौड़ी गढ़वाल के। Devendra could not leave the lan...

Pauri

About

नमस्कार दोस्तों ! 🙏 में अजय गौड़ 🙋 (ऐड्मिन मेरुमुलुक.कॉम) आपका हार्दिक स्वागत 🙏 करता हूँ हमारे इस अनलाइन पहाड़ी 🗻पोर्टल💻पर। इस वेब पोर्टल को बनाने का मुख्य उद्देश्य 🧏🏼‍♀️ अपने गढ़ समाज को एक साथ जोड़ना 🫶🏽 तथा सभी गढ़ वासियों चाहे वह उत्तराखंड 🏔 मे रह रहा हो या परदेस 🌉 मे रह रहा हो सभी के विचारों और प्रश्नों/उत्तरों 🌀को एक दूसरे तक पहुचना 📶 और अपने गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति 🕉 को बढ़ाना है।

Comments

  1. Dp Rawat says:

    अपनी संस्कृति का प्रचार प्रसार करने के लिए आपका हार्दिक आभार

    1. Ajay Gour says:

      धन्यवाद डी पी रावत जी 🙏🙏

      टीम
      मेरुमुलुक.कॉम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*