यह गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में नेलांग घाटी के पास स्थित है और भारत-तिब्बत व्यापार मार्ग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
गरतांग गली का निर्माण 17वीं सदी में पेशावर के पठानों द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य भारत और तिब्बत के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाना था। यह मार्ग उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित है, जो समुद्र तल से लगभग 11,000 फीट की ऊंचाई पर है। गरतांग गली मार्ग लगभग 135 मीटर लंबा है। यह एक लकड़ी का रास्ता है, जो खड़ी चट्टानों और गहरी खाइयों के ऊपर बना हुआ है जैसा कि आप फोटोज में देख पा रहे हैं। यह मार्ग बेहद संकीर्ण और जोखिमपूर्ण है, इसलिए सुरक्षा के लिए इसे पार करने से पहले पर्याप्त तैयारी और सावधानी बरतनी जरूरी है। 2021 में इसे मरम्मत के बाद 59 साल बाद फिर से खोला गया है जिससे यह पर्यटकों के लिए और अधिक सुरक्षित बन गया है।
कैसे पहुंचें-
गर्तांग गली पहुंचने के लिए आपको उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले तक आना पड़ेगा,
1. देहरादून से उत्तरकाशी:
देहरादून से उत्तरकाशी तक की दूरी लगभग 145 किमी है। आप यहाँ के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं। यात्रा में लगभग 5-6 घंटे लगते हैं।
2.उत्तरकाशी से गंगोत्री:
उत्तरकाशी से गंगोत्री की दूरी लगभग 95 किमी है। यहाँ के लिए भी बस या टैक्सी उपलब्ध है। यात्रा में लगभग 4-5 घंटे लगते हैं।
3.गंगोत्री से नेलांग घाटी:
गंगोत्री से नेलांग घाटी की दूरी लगभग 23 किमी है। यहाँ पहुंचने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है क्योंकि यह क्षेत्र संवेदनशील है और सीमा क्षेत्र के निकट है।
4.नेलांग घाटी से गर्तांग गली:
नेलांग घाटी से गर्तांग गली के लिए थोड़ी पैदल ट्रैकिंग करनी पड़ती हैं।
परमिट-
नेलांग घाटी और गर्तांग गली सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां यात्रा के लिए विशेष परमिट की आवश्यकता होती है।
यह परमिट उत्तरकाशी में स्थित वन विभाग कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है।
यात्रा का सर्वोत्तम समय-
गर्तांग गली की यात्रा के लिए मई से अक्टूबर का समय सबसे उपयुक्त है। इस दौरान मौसम अनुकूल रहता है और रास्ते खुले रहते हैं। यहां जाने के लिए आपको प्रति व्यक्ति 200 रुपए का शुल्क देना होता है। तथा प्रवेश दोपहर 3 बजे तक ही सीमित है।