Home » Culture » कुमाऊनी खानपान की प्रमुख विशेषताएं। Main features of Kumauni food.

कुमाऊनी खानपान की प्रमुख विशेषताएं। Main features of Kumauni food.

ख़ास तौर से जाड़े का मौसम आने पर हमारी कुमाऊँनी रसोइयों में किस कदर दिव्य भोजन बनता है, शब्दों के बयान से बाहर की चीज़ है!

सुघड़ घरों में इस मौसम की शुरुआत से ही भण्डार भरने का सिलसिला चालू हो जाता है – भट, गहत, रैंस जैसी कितने तरह की दालें, मडुवा-फाफर-कुटू जैसे दुर्लभ आटे, झिंगोरा समेत दर्जन भर किस्मों के चावल, धरती के ऊपर और नीचे उगने वाली एक से एक सब्जियां और इन सब के अलग-अलग संयोजनों से निर्मित होने वाले व्यंजनों में जादू भरने के वास्ते हिमालय की गोद में उगने वाले जम्बू, गंधरायणी, जखिया, भंगीरा और तिमूर जैसे अलौकिक ख़ुशबूदार मसाले.

बीस तरह की तो हमारे यहां राजमा होती है – भूगोल के हिसाब से हरेक का अपना विशिष्ट स्वाद. गगास घाटी की गहत, दूनागिरि-लौबांज की मक्खन गडेरी, कपकोट का मडुवा और मिलम-गर्ब्यांग का जम्बू जैसी असंख्य नेमतें हैं, शताब्दियों से जिन्होंने पहाड़ की मुश्किल ज़िंदगी में रस घोलने का काम किया है.

यह भी पढ़िये :-  देसी शराब के एक ब्रांड का नाम काफल और माल्टा पर रखे जाने पर उत्तराखंड में कुछ लोगों की भावनाएं को ठेस पहुंची है!

कुमाऊनी थाली को अनूठा फिनिशिंग टच देने का काम मूली और मसालेदार नमक का चटखारेदार संयोजन करता है. सुदूर तिब्बत की सीमा से लगी व्यांस-दारमा की घाटियों में इस संयोजन को लाफू-दुंग्चा कहा जाता है. दुर्लभ उच्च-हिमालयी जड़ी-बूटियों और मसालों की मदद से बनाया जाने वाला नमक यानी दुंग्चा इसकी आत्मा होता है. चूंकि दुंग्चा एक बेहद मुश्किल भौगोलिक क्षेत्र की ख़ासियत है, उसे हासिल करना हर किसी के बूते का नहीं. उसके लिए आदमी के पास उस सीमान्त इलाके में बहुत पक्की दोस्तियाँ होनी चाहिए.

दुंग्चा का स्थान निचले कुमाऊँ में ताज़े धनिये, हरी मिर्च और नीबू को डलीदार नमक के साथ सिल-बट्टे पर पीस कर तैयार किया जाने वाला चरबरा नमक ले लेता है.

यह भी पढ़िये :-  जीवन की पहली किताब उस रोशनी के नाम थी जिसे हम ‘लम्फू’ कहते थे।

Related posts:

बारिश का मौसम हो और साथ में भट्ट भून के खाने का स्वाद ही कुछ और है।

Culture

उत्तराखंड में सावन के महीने में प्रकृति की सुंदरता पर एक सूंदर कविता।

Culture

जीवन की पहली किताब उस रोशनी के नाम थी जिसे हम ‘लम्फू’ कहते थे।

Culture

ये कलयुग के राम लक्ष्मण कहलाए, दोनों भाई जीवन भर साथ रहे, विवाह भी नहीं किया।

Culture

स्वरोजगार:पौड़ी जिले के बीरोंखाल के श्री दीनदयाल बिष्ट ने अपने बगीचे में लगभग दो सौ पेड़ कीवी लगा डाले...

Agriculture

जलेबी सिर्फ मिठाई नहीं आयुर्वेदिक दवाई भी है।

Culture

हमारे पुरखों ने जो मकान बनाया हमारे लिए वह हमें आवाज लगा रहे हैं आ जाओ प्लीज।

Culture

पत्तों से बनी पतरी(पत्तल )और मिट्टी से बने भुरका (कुल्हड़) में विवाह इत्यादि सभी कार्यक्रम में अतिथि...

Culture

"नया नौ दिन पुराना सौ दिन" उत्तराखंड के ये मकान आज भी समय की मार से बचे हुए है।

Culture

About

नमस्कार दोस्तों ! 🙏 में अजय गौड़ 🙋 (ऐड्मिन मेरुमुलुक.कॉम) आपका हार्दिक स्वागत 🙏 करता हूँ हमारे इस अनलाइन पहाड़ी 🗻पोर्टल💻पर। इस वेब पोर्टल को बनाने का मुख्य उद्देश्य 🧏🏼‍♀️ अपने गढ़ समाज को एक साथ जोड़ना 🫶🏽 तथा सभी गढ़ वासियों चाहे वह उत्तराखंड 🏔 मे रह रहा हो या परदेस 🌉 मे रह रहा हो सभी के विचारों और प्रश्नों/उत्तरों 🌀को एक दूसरे तक पहुचना 📶 और अपने गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति 🕉 को बढ़ाना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*