1. रामायण को महर्षि वाल्मीकि जी ने लिखा था तथा इस महाग्रंथ में 24,000 श्लोक, 500 उपखंड तथा उत्तर सहित सात कांड है |
2. जिस समय दशरथ जी ने पुत्रेष्ठी यज्ञ किया था उस समय दशरथ जी की आयु 60 वर्ष थी |
3. तुलसीरामायण में लिखा है की सीता जी के स्वयंवर में श्री राम ने भगवान शिव का धनुष बाण उठाया व इन्हें तोड़ दिया परंतु इस घटना का वाल्मीकि रामायण में कोई उल्लेख नहीं है |
4. रामचरितमानस के अनुसार परशुरामजी सीता स्वयंवर के मध्य में आए थे परंतु बाल्मीकि रामायण के अनुसार जब प्रभु श्री राम, माता सीता के साथ अयोध्या जा रहे थे उस समय बीच रास्ते में परशुराम जी इन्हें मिले थे
5. जब भगवान श्री राम वनवास के लिए जा रहे थे तब उनकी आयु 27 वर्ष थी |
6. जब लक्ष्मण जी आए और उन्हें पता चला कि श्री राम को वनवास का आदेश मिला है तब वह बहुत क्रोधित हुए तथा श्री राम के पास जाकर उनसे अपने ही पिता के विरुद्ध युद्ध के लिए बोला परंतु बाद में श्री रामजी के समझाने पर वह शांत हो गए |
7. जब दशरथ जी ने श्री राम को वनवास के लिए कहा, तब वह चाहते थे कि श्री राम जी बहुत सा धन एवं दैनिक उपयोग की चीजें अपने साथ ले जाए परंतु कैकई ने इन सब चीजों के लिए भी मना कर दिया |
8. भरत जी को सपने में ही इनके पिता दशरथ की मृत्यु का अनुमान हो गया था क्योंकि उन्होंने अपने सपने में दशरथ जी को काले कपड़े पहने एवं उदास देखा था
9. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस ब्रह्माण्ड में 33 करोड़ देवी-देवता है लेकिन बाल्मीकि रामायण के के अनुसार 33 करोड़ नहीं अपितू 33 कोटि अर्थात 33 प्रकार के देवी देवता है |
10. प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि जब माता सीता का अपहरण रावण के द्वारा हुआ तब जटायु ने उन्हें बचाने का प्रयास किया और अपना बलिदान दिया परंतु राम वाल्मीकि रामायण के अनुसार यह जटायु नहीं थे अपितु उनके पिता अरुण थे |
11. जिस दिन रावण ने माता सीता का हरण किया तथा उन्हें अशोक वाटिका लेकर आया, उसी रात भगवान ब्रह्मदेव ने इंद्रदेव को एक विशेष प्रकार की खीर सीता जी को देने के लिए कहा, तब इंद्रदेव ने पहले अपनी अलौकिक शक्तियों के द्वारा अशोक वाटिका में उपस्थित सारे राक्षसों को सुला दिया, उसके बाद वह खीर माता सीता को दी |
12. जब भगवान श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता की खोज में जंगल में गए तब वहां उनकी राह में कंबंध नाम का एक राक्षस आया जो श्री राम व लक्ष्मण के हाथ मारा गया परंतु वास्तव में कंबंध एक श्रापित देवता था और एक श्राप के कारण राक्षस योनी में जन्मा और जब प्रभु श्रीराम ने उसकी उसका मृत शरीर जलाया तब उसकी आत्मा मुक्त हो गई एवं उसने ही उसने ही श्रीराम व लक्ष्मण को सुग्रीव से मित्रता करने का मार्ग सुझाया |
13. एक बार रावण कैलाश पर्वत पर भगवान शिव से मिलने गया और उसने वहां उपस्थित नंदी का मजाक उड़ाया इससे क्रोधित नंदी ने रावण को श्राप दिया कि एक वानर तेरी मृत्यु एवं पतन करण बनेगा |
14. वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब रावण ने कैलाश पर्वत उठाया था तब माता पार्वती ने क्रोधित होकर श्राप दिया था की तेरी मृत्यु का कारण एक स्त्री बनेगी |
15. विद्युतजिन, रावण की बहन शुर्पणखां का पति था तथा यह कालकेय नामक राजा का सेनापति भी था | जब रावण पूरी दुनियाँ को जीतने निकला तब उसने कालकेय से भी युद्ध किया तथा इस युद्ध में विद्युतजिन मारा गया तब क्रोधित शुर्पणखां ने रावण को श्राप दिया की वही एक दिन अपने भाई रावण की मृत्यु का कारण बनेगी |
16. जब राम और रावण के मध्य अंतिम युद्ध लड़ा जा रहा था तब इंद्रदेव ने अपना चमत्कारिक रथ श्रीराम के लिए भेजा था और इस रथ पर बैठ कर ही श्री राम ने रावण का वध किया |
17. एक बार रावण अपने पुष्पक विमान पर कही जा रहा था तब उसने एक सुंदर स्त्री को भगवान विष्णु की तपस्या करते हुए देखा जो श्री हरि विष्णु को पति रूप में पाना चाहती थी | रावण ने उसके बाल पकड़ कर उसे घसीटते हुए अपने साथ चलने को कहा परंतु उस स्त्री ने उसी क्षण अपने प्राण त्याग दिए और रावण को अपने कुल सहित नष्ट हो जाने का श्राप दिया |
18. रावण को अपनी सोने की लंका पर बहुत अहंकार था, परंतु इस लंका पर रावण से पहले उसके भाई कुबेर का राज था | रावण ने लंका को अपने भाई कुबेर से युद्ध करके जीता था |
19. रावण राक्षसों का राजा था तथा उस समय लगभग सभी बालक इससे बहुत ज्यादा डरते थे क्योंकि इसके दस सिर थे परन्तु रावण, शिव का बहुत बड़ा भक्त था तथा बहुत ही बुद्धिमान विद्यार्थी भी था, जिसने सारे वेद का अध्ययन किया |
20. रावण के रथ की ध्वजा पर अंकित वीणा के चिन्ह से यह पता लगता है कि रावण को संगीत थी प्रिय था तथा कई जगह इस बात का उल्लेख है कि रावण वीणा बजाने में भी निपुण था |
21. राजधर्म का निर्वाह करते हुए एक धोबी के कारण श्री राम ने माता सीता की अग्नि परीक्षा ली तथा इसके पश्चात माता सीता को वाल्मीकि आश्रम में छोड़ दिया, बाद में जब पुनः श्री राम ने माता सीता को परीक्षा के लिए कहा तो माता सीता धरती में समा गयी, तब श्री राम व इनके पुत्र कुश, माता सीता को पकड़ने के लिए दौड़े परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी | इस घटना के पश्चात श्री राम को अत्यंत ही ग्लानी हुई की उन्होंने राजधर्म का निर्वाह तो किया लेकिन अपनी प्राणों से भी प्रिय पत्नी को उनके कारण कितने ही दुःख झेलने पडे, इसके कुछ समय पश्चात ही भगवान श्री राम ने सरयू नदी में जल समाधि ले ली एवं बैकुंठ धाम प्रस्थान कर गये |
22. जब सीता हरण के पश्चात रावण को पता चला की श्री राम, लंका की ओर युद्ध के लिए आ रहे है तब इनके भाई विभीषण ने माता सीताजी को लौटाकर राम से संधि करने को कहाँ लेकिन तब रावण बोला की अगर वह साधारण मानव है तब वह मुझे नहीं हरा सकते लेकिन अगर वह वास्तव में ईश्वर है तब उनके हाथो मेरी मृत्यु नहीं अपितु मोक्ष प्राप्ति होगी, अतः में युद्ध अवश्य करूँगा |
23. लक्ष्मण जी 12सालो तक नहीं सोयें थे तथा इसी कारण इन्हें गुडाकेश भी कहा जाता है | रावण पुत्र मेघनाद को वरदान था की उसकी मृत्यु वही करेगा जो 12 वर्षो तक न सोया हो और इसी कारण लक्ष्मण,मेघनाद को मार सके ।