
हिमालय एशिया में स्थित एक प्राचीन पर्वत श्रृंखला है। हिमालय को पर्वत राज भी कहते हैं जिसका अर्थ है पर्वतों का राजा।
कालिदास तो हिमालय को पृथ्वी का मानदंड मानते हैं। हिमालय की पर्वतश्रंखलाएँ शिवालिक कहलाती हैं। सदियों से हिमालय की कन्दराओं (गुफाओं) में ऋषि-मुनियों का वास रहा है और वे यहाँ समाधिस्थ होकर तपस्या करते हैं ।
हिमालय आध्यात्म चेतना का ध्रुव केंद्र है। उत्तराखंड को श्रेय जाता है इस “हिमालयानाम् नगाधिराजः पर्वतः” का हृदय कहाने का।
ईश्वर अपने सारे ऐश्वर्य- खूबसूरती के साथ वहाँ विद्यमान है। ‘हिमालय अनेक रत्नों का जन्मदाता है, , उसकी पर्वत-श्रंखलाओं में जीवन औषधियाँ उत्पन्न होती हैं।
वह पृथ्वी में रहकर भी स्वर्ग है। हिमालय एक पर्वत तन्त्र है। हिमालय पर्वत 7 देशों की सीमाओं में फैला हैं।
ये देश हैं- पाकिस्तान,अफगानिस्तान , भारत, नेपाल, भूटान, चीन और म्यांमार।
हिमालय की रहस्यमय दुनिया : हिमालय क्षेत्र में प्रकृति के सैकड़ों चमत्कार देखने को मिलेंगे।
1. हिमालय में लाखों जड़ी-बूटियां हैं जिससे व्यक्ति के हर तरह के रोग को दूर ही नहीं किया जा सकता बल्कि उसकी उम्र को दोगुना किया जा सकता है
2. यहां मठों में समय को रोकने वाले महात्मा तपस्या लीन रहते हैं।
3. हिमालय में कुछ हजारों ऐसे स्थान हैं जिनको देवी-देवताओं और तपस्वियों के रहने का स्थान माना गया है, पर हिमालय की प्रकृति बिगड़ चुकी है। यही कारण है कि प्रलय समय समय पर भयाक्रांत रूप लेकर आती हैं
4. मुण्डकोपनिषद् के अनुसार सूक्ष्म-शरीरधारी आत्माओं का एक संघ है। इनका केंद्र हिमालय की वादियों में उत्तराखंड में स्थित है। इसे देवात्मा हिमालय कहा जाता है। इन दुर्गम क्षेत्रों में स्थूल-शरीरधारी व्यक्ति सामान्यतया नहीं पहुंच पाते हैं।
अपने श्रेष्ठ कर्मों के अनुसार सूक्ष्म-शरीरधारी आत्माएं यहां प्रवेश कर जाती हैं। जब भी पृथ्वी पर संकट आता है, नेक और श्रेष्ठ व्यक्तियों की सहायता करने के लिए वे पृथ्वी पर भी आती हैं।
विस्तार से हिमालया यूके न्यूज पोर्टल में, जिसे पढ़कर आप हैरान रह जायेगे: चन्द्रशेखर जोशी संस्थापक अध्यक्ष बगलामुखी पीठ और आध्यात्म मार्गदर्शक