नीलकंठ पर्वत से भंवरे के रूप में मायके आती है मां नंदा, भगवान नारायण स्वयं बनते हैं साक्षी। बामणी गांव बद्रीनाथ मंदिर के पास ही स्थित है यहाँ के निवासी 6 महीने पांडुकेशर और 6 महीने बामणी गांव में निवास करते हैं। समुद्रतल से 10250...
बामणी गांव का अनूठा ‘नंदालोकोत्सव! बद्रीनाथ मंदिर के पास स्थित है।
