गांव में आजकल बैलों की कोई जरूरत नहीं है छोटे ट्रैक्टर टिलर से काम चल रहा है और बहुत अच्छा चल रहा है जो लोग खेती कर रहे हैं और मेहनत से फसलें उगा रहे हैं वो अच्छा अनाज खाते है,साफ पानी पीते हैं और स्वस्थ जीवन जीते हैं।
Related posts:
पित्रों की भूमि को नहीं छोड़ पाए देवेन्द्र ग्राम उमड़ा पौड़ी गढ़वाल के। Devendra could not leave the lan...
संजय सिलोड़ी उत्तराखंड संगीत जगत के कलाकार का जीवन परिचय। Sanjay Silodi Biography of artist of Uttar...
युवा मिसाल : श्रीनगर गढ़वाल मे 38 वर्षीय सुरजीत पुंडीर बस अड्डे के सामने अपनी छोटी सी दुकान चलाते है।
20-25 वर्षों से बंजर पड़े खेतों में सेब और कीवी के बाग़ान रोपने वाले विमल नौटियाल।