सीमांत क्षेत्र में भारी चूक का जिम्मेदार कौन!
बरसात के मौसम में स्कूल-कालेज बंद होना नया नहीं है। आपदा के नाम का डर दिखाना, बेवकूफ बनाना है, यह सिस्टम में लग चुके जंग पर मुहर है। जब बिना किसी कारण के तीन दिन स्कूल-कालेज बंद कर दिए जाएं तो क्या कहेंगे। ऐसा हुआ उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में। जहां प्रशासन, पुलिस की भारी चूक ने मानवजनित आपदा खड़ी कर दी। असल में पिथौरागढ़ में सेना भर्ती होनी थी। भर्ती के लिए अचानक उत्तरप्रदेश, बिहार से हजारों की तादात में बेरोजगार युवा पहुँच गए। ना बसों की, ना रहने की, ना पर्याप्त खाने की व्यवस्था। इसके बाद जो अराजकता हुई सब ने देखा। सवाल यहीं से शुरू होता है। पिथौरागढ़ में सेना भर्ती पहली बार नहीं हो रही। लेकिन इस बार ऐसा क्या हुआ। जिसने इतनी बड़ी अव्यवस्था को पैदा कर दिया। ऐसा लग रहा है कि सीमांत में अब सेना और प्रशासन के बीच कोई तालमेल ही नहीं रह गया है। नेपाल, चीन सीमा पर बसे, सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील जिले की व्यवस्थाएं ताक पर रख दी गई। पुलिस व केंद्रीय एजेंसियो का खुफिया तंत्र भांप ही नहीं पाया कि यह स्थिति पैदा हो जाएगी। प्रशासन ने व्यवस्था के नाम पर स्कूल बंद करने के निर्देश देकर सेना भर्ती को भी आपदा में बदल दिया। वो तो शुक्र मनाइए 26 नवंबर को होने वाली सेना भर्ती रद हो गई। नहीं तो हालात किस तरह के होते अंदाजा लगाया जा सकता है। इस घोर लापरवाही, बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ के लिए जिम्मेदार कौन है। अब देखना होगा, सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर चुप बैठती है या कोई कार्रवाई करती है। ताकि ऐसे हालात दोबारा पैदा ना हो।
पिथौरागढ़ में सेना भर्ती होनी थी- जिस कारण अचानक स्कूल-कालेज बंद कर दिए गए।
लिन्थुरा गांव जिला पिथोरागढ़ उत्तराखंड। Linthura Village Pithoragarh District Uttarakhand.
मुनस्यारी का खूबसूरत बस स्टैन्ड। Beautiful bus stand of Munsiyari, Pithoragarh, Uttarakhand.
पिथौरागढ़ के धारचूला ब्लॉक में स्थित तेजम गांव के पास एक पुल पर दो विदेशी यात्री।
बिरुड़ पंचमी की शुभकामनाएं। कुमाऊं में सातू-आठू यानि गौरा पर्व मनाया जाता है।