कोदे की रोटी खाने का आनंद ही अलग है खासकर जब भूख लगी हो- जब कभी हल लगाकर और जंगल में लकड़ी काटकर घर आता तो घी और गुड़ के साथ या ऐसे ही खा जाता था वो दिन कभी लौट भी आएंगे कि नहीं यही सोचता हूँ- आप क्या सोचते हैं ? अपने अनुभव भी कमेंट में साझा करें मित्रों।
कोदे की रोटी खाने का आनंद ही अलग है खासकर जब भूख लगी हो।
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा | Haar nahi Manunga Rar nahi Thanunga.
ऐसे मकान होते हैं अपने पहाड़ों (उत्तराखंड) में यह मकान पहाड़ी मिस्त्री के द्वारा बनाया गया है।
इन बांज पौडि गें। पाणी-पंदेरा।
शशि बहुगुणा रतूड़ी ने पारंपरिक पिस्सू लून नमक को लोगों तक पहुंचाने का मकसद से 2018 में नमकवाली ब्रैं...