प्रभा देवी शायद पढ़ी-लिखी नहीं हैं, और उन्हें अपनी जन्मतिथि तक नहीं मालूम — लेकिन प्रकृति को लेकर उनका ज्ञान किसी विश्वविद्यालय से कम नहीं। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के पलशाट गांव की 76 वर्षीय प्रभा देवी ने अकेले दम पर एक पूरा जंगल तैयार कर दिया है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सच्चा ज्ञान दिल से आता है, डिग्रियों से नहीं। 🌱❤️
उनके इस आत्मनिर्मित जंगल में 500 से भी अधिक पेड़ हैं — जिनमें बांज (oak), बुरांश (rhododendron), दालचीनी (cinnamon), और रीठा (soap nut) जैसे विविध प्रजातियाँ शामिल हैं। प्रभा देवी ने सालों पहले इस कार्य की शुरुआत की और तब से अपना जीवन पेड़ लगाने और पर्यावरण संरक्षण को समर्पित कर दिया। उन्होंने बताया, “मेरे परिवार के पास थोड़ी-सी बंजर ज़मीन थी। मैंने वहाँ और अपने घर के आसपास पेड़ लगाने शुरू किए। आज वह जगह एक घना जंगल बन चुकी है, और मेरा सपना है कि हर बंजर ज़मीन को हरा-भरा बना दूं।”
16 साल की उम्र में शादी हुई और कभी स्कूल का मुँह तक नहीं देखा, लेकिन उन्होंने पेड़-पौधों के बारे में ऐसा ज्ञान खुद से अर्जित किया है जो किसी विशेषज्ञ से कम नहीं। उन्हें हर पेड़ की ज़रूरतें, उसकी मिट्टी और देखभाल के तरीके मालूम हैं — और उन्होंने इसे अपने अनुभव से सीखा है।
आज उन्हें लोग “पेड़ों की सखी” कहकर पुकारते हैं। उनके बच्चे बड़े शहरों में रहते हैं, लेकिन प्रभा देवी ने गाँव छोड़ने से साफ इंकार कर दिया है। वे आज भी अपने गांव में रहकर एक-एक पेड़ लगाकर धरती को हरा बनाने में जुटी हुई हैं। 🌍🌳
उनकी कहानी एक सच्ची प्रेरणा है — यह दिखाती है कि अगर संकल्प हो और दिल में प्रकृति के लिए प्रेम हो, तो कोई भी अकेले पूरी दुनिया को हरियाली दे सकता है।