उत्तराखंड की 6 पारंपरिक पहाड़ी मिट्टी/धातु कला : एक सांस्कृतिक धरोहर
उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत में पारंपरिक पॉटरी (मिट्टी से बनी वस्तुएं) का विशेष महत्व है। पर्वतीय जीवनशैली में सदियों से ये मिट्टी की कलाकृतियाँ उपयोग में लाई जाती रही हैं, जो न केवल दैनिक जीवन के कार्यों में सहायक थीं बल्कि पर्यावरण के अनुकूल और सांस्कृतिक पहचान की प्रतीक भी हैं। आइए जानते हैं उत्तराखंड की 6 प्रमुख पारंपरिक पॉटरी के बारे में:
1. भड्डू (Bhaddu)
भड्डू एक गोलाकार मिट्टी/धातु का बर्तन होता है जिसका उपयोग परंपरागत रूप से दाल या सब्जी पकाने के लिए किया जाता था। इसका आकार हांडी जैसा होता है और इसे धीमी आँच पर रखने से भोजन में खास स्वाद आता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी कई घरों में भड्डू का उपयोग पारंपरिक व्यंजन बनाने में होता है।
2. परोठी (Parothi)
परोठी एक प्रकार की मिट्टी/धातु की थाली होती है जिसमें भोजन परोसा जाता था। यह विशेष अवसरों और पारंपरिक भोज में प्रयुक्त होती थी। इसकी प्राकृतिक बनावट भोजन को ताजा और गर्म बनाए रखने में सहायक होती थी।
3. सिलबट्टा (Sillbatta)
हालाँकि सिलबट्टा आमतौर पर पत्थर का होता है, कुछ क्षेत्रों में मिट्टी के मिश्रण से भी इसे तैयार किया जाता था। यह एक पारंपरिक पीसने का उपकरण है जिसका प्रयोग मसाले, हरी मिर्च, लहसुन आदि को पीसने में किया जाता है। इसका उपयोग भोजन में स्थानीय स्वाद जोड़ने के लिए किया जाता रहा है।
4. थेकी (Theki)
थेकी एक गोलाकार पात्र होता है जिसमें छाछ, दही या मक्खन संग्रहित किया जाता था। लकड़ी और मिट्टी के मिश्रण से बने इस पात्र का उपयोग विशेषकर गाड़वाल और कुमाऊँ क्षेत्र में होता था। गर्मियों में यह दूध को ठंडा बनाए रखने में सहायक होता था।
5. गागर (Gaagar)
गागर एक प्रकार का मिट्टी/धातु का घड़ा होता है, जिसे मुख्यतः पानी संग्रहित करने के लिए उपयोग में लाया जाता था। इसके निर्माण में ऐसी तकनीक का प्रयोग होता था जिससे पानी लंबे समय तक ठंडा बना रहता था। पहाड़ी क्षेत्रों में यह जल भंडारण का पर्यावरणीय और परंपरागत तरीका था।
6. मणि (Mani)
मणि छोटे आकार की मिट्टी/धातु की एक सुंदर बर्तन होती है, जो सौंदर्य के साथ-साथ पूजा-पाठ में भी प्रयोग होती थी। मणि में धूप, कपूर या जल भरा जाता था और इसे देवी-देवताओं की पूजा में उपयोग किया जाता था। कुछ स्थानों पर इसका प्रयोग सुगंधित वस्तुएं रखने में भी किया जाता है।
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