सुप्रसिद्ध अभिनेता वरुण बडोला के ये शब्द हम सबको गौरान्वित करने वाले हैं। अपने गढ़वाल का दुर्भाग्य यह रहा है कि यहाँ की खान से निकलने वाले हीरे जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर की छवि बनाते हैं, तब उनके मुंह से ये सुनने को कान बेताब रहते हैं कि वे कभी तो ये बोल दें कि वे उत्तराखंड के कुमाऊ या गढ़वाल रीजन के पहाड़ी हैं। मैंने बहुत से ऐसे लीजेंड को सुना तो वे कहते सुनाई देते हैं.. हाँ मेरे दादाजी लोग कभी पहाड़ में रहा करते थे।
वरुण बडोला सिर्फ अपने को पहाड़ का होना ही नहीं बताते बल्कि उस पर बड़ा गर्व भी करते हैं। और तो और वरुण कोटद्वार में मालवीय उद्यान स्थित अपने घर पहुँचने का रास्ता तक बताते हैं। साथ ही वह अपने फार्म हॉउस की बात भी करते हैं और कोटद्वार में बसने से पूर्व पौड़ी गढ़वाल के अपने पूर्वजों के पैतृक गाँव ठंठोली की भी।
आपको हैट्स ऑफ़ वरुण बडोला जी।