तुमरी खुद अब कै तैं नि लगणीं तुम खुदेणां छां त खुदे ल्या। गढ़रत्न नेगी जी के महान गीत की ये पंक्तियां एकदम पहाड़ में कई बुजुर्गों की जिंदगी की सच्चाई है।
पहाड़ में कई बुजुर्गों की जिंदगी की सच्चाई है। This is the truth of the lives of many elderly people in the mountains.










