भारतवर्ष में यह परंपरा सदियों से चली आई है विशेष अवसरों पर धोती पहनकर एक साथ जमीन पर बैठकर स्वस्थ चित मन से भोजन ग्रहण करना।
भारतवर्ष में यह परंपरा सदियों से चली आई है विशेष अवसरों पर धोती पहनकर एक साथ जमीन पर बैठकर भोजन ग्रहण करना।

भारतवर्ष में यह परंपरा सदियों से चली आई है विशेष अवसरों पर धोती पहनकर एक साथ जमीन पर बैठकर स्वस्थ चित मन से भोजन ग्रहण करना।
उत्तराखंड की बेटी गीता ने पीरुल से पहाड़ की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की मुहीम शुरू की है। जिसमे वह कई लड़कियों को परीक्षण देकर उन्हें अपने पैरो पर खड़ा करने की तरफ काम कर रही है। गीता का कहना है की पीरूल जैसे...
उत्तराखंड ,जौनसार बावर का सुप्रसिद्ध वाद्य ढोल की जुगलबंदी जरूर देखें । जौनसार बावर में आज भी इस कला के निपुण लोग पर्याप्त संख्या में मिल जाएंगे। नवयुवक भी शौकिया तौर पर ही सही इस वाद्य को बजाने में पारंगत है। जौनसार बावर की संस्कृति...
बस, अब जो बात बाकी रह गई थी कि गढ़वाल विश्वविद्यालय की शोधार्थी डॉक्टर आयुषी राणा के शोध – “सस्टेनेबल पिलग्रिम् टूरिज्म इन केदार वेली – पोस्ट 2013 डिजास्टर” को भी पढ़िए कि अब केदारनाथ में तीर्थाटन और पर्यटन का अंतर खत्म हो गया है।...
अल्मोड़ा के रहने वाले अनिल जी जो की होली के डोल से लेकर सभी प्रकार के वाद्य यंत्र तैयार करते है। उनकी दुकान मैन बाजार अल्मोड़ा में अनिल हारमोनियम के नाम से है। साथ ही अनिल जी पुराने वाद्य यंत्रों को मरमत भी करते है।...
कोदे की रोटी और पिस्यूं लूण (चटनी)।
पहाड़ी क्षेत्रों मे होने वाली सब्जी मीठा करेला परमल सज्ञा करेला और भी कई नामों से जाना जाता है और और इसकी सब्जी बहुत हि ज्यादा स्वदिस्ट होती है ये शहरों मे नहीं मिलता क्योंकि ये पहाड़ों कि ठंडी जगह होता है अगर आपके यहाँ...
विलुप्त होती घर के छत लगाने की प्राचीन और पक्की विधि सलेटों का स्थान अब चादरों ओर पक्के लंटरों ने ले लिया है न वह मिस्त्री रहे न वह सैल रहे न वह पुराने घर रहे जो सारे जो इक बनाई के रखे थे थोड़ा...
बारिश का मौसम हो और साथ में भट्ट भून के खाने का स्वाद ही कुछ और है।
आपसी मेलजोल और भाईचारे की मिसाल होती है हमारे पहाड़ (उत्तराखंड) की शादियां.