उत्तराखंड में पहाड़ी शैली के सुंदर मकान। Beautiful hill style houses in Uttarakhand.
ये कलयुग के राम लक्ष्मण कहलाए, दोनों भाई जीवन भर साथ रहे, विवाह भी नहीं किया।
तत्कालीन पंचायत पोशना के अंतर्गत ग्राम बिहाडी के दोनों भाइयों की जोड़ी काफी मशहूर थी।इन्हें राम लक्ष्मण के नाम से जाना जाता था।इन दोनों ने विवाह नही किया।राम लक्ष्मण दोनों साथ रहते थे।ये कलयुग के राम लक्ष्मण कहलाए।अब दोनो इस दुनिया मे नही है।
पत्तों से बनी पतरी(पत्तल )और मिट्टी से बने भुरका (कुल्हड़) में विवाह इत्यादि सभी कार्यक्रम में अतिथियों को भोजन खिलाया जाता था।
पत्तल और कुल्हड़! पत्तों से बनी पतरी(पत्तल )और मिट्टी से बने भुरका (कुल्हड़) में विवाह इत्यादि सभी कार्यक्रम में अतिथियों को भोजन खिलाया जाता था। सूर्य देवता के पश्चिम मुंह होते ही गांव के सभी लड़के काम में जुट जाते थे। सारे गांव में घूम...
पहाड़ी क्षेत्रों में होटलो का जो स्वरूप था अब वह बदल रहा है वहां पर छोटे-छोटे कॉटेज नुमा घर बन रहे हैं।
पहाड़ी क्षेत्रों में होटलो का जो स्वरूप था अब वह बदल रहा है वहां पर छोटे-छोटे कॉटेज नुमा घर बन रहे हैं जो दिखने में बहुत सुंदर और आकर्षक लगने के साथ ही साथ प्रकृति के बीच में होने का भरपूर एहसास दिलाते हैं अब...
90 के वक्त उत्तराखंड में गाँव की शादी समारोह में न टेंट हाऊस थे और न कैटरिंग, थी तो बस सामाजिकता।
90s के वक्त गाँव की शादी समारोह में न टेंट हाऊस थे और न कैटरिंग, थी तो बस सामाजिकता। गांव में जब कोई शादी ब्याह होते तो घर घर से चारपाई आ जाती थी, हर घर से थरिया, लोटा, कलछुल, कराही इकट्ठा हो जाता था...
पहाड़ी लोग जुगाड़ी 😮 भी है “पुरानी कमीज़ से तकिये का कवर”👌Pillow cover from old shirt.
घर पहुंचा और पैर सीधे करने के लिए तकिये पर सर रखा तो दो मिनट में ही कुछ अलग सा महसूस हुआ। तकिये पर हाथ फिराया तो एलोंन मस्क के स्टार लिंक उपग्रह संरचना के माफिक एक सीरीज महसूस हुई। मैंने माजरा समझने के लिये...
उत्तराखंड में सड़क किनारे कहीं पहाड़ी सब्जियां कोई पहाड़ी भाई या बहन बेचते हुए दिखे तो जरूर खरीदें।🙏
आजकल सड़कों के किनारे कहीं पहाड़ी सब्जियां और पहाड़ी कखड़ी कोई पहाड़ी भाई या बहन बेचते हुए दिखे तो जरूर खरीदें।🙏 हां थोड़ा महँगा जरूर होगा पर शुद्ध ऑर्गेनिक होगा।😊 मेहनत तो रहती ही है साथ ही जंगली जानवरों से भी बचाते हैं।🙏
निराशवादियों को इस टमाटर के पौधे से कुछ सीख लेनी चाहिए।
तस्वीर में आप एक टमाटर के पौधे को देख रहे होंगे, शायद किसी यात्री ने टमाटर खाकर उसके बीज को ट्रेन से फेंक दिया होगा। ये पौधा मिट्टी की छाती फाड़कर नही बल्कि पत्थरों को चीरकर बाहर आया है। जब ये और भी नन्हा सा...
कैसी होती थी 90 के दशक के समय गाँव की शादी समारोह?
कैसी होती थी 90 के दशक के समय गाँव की शादी समारोह? What were village wedding ceremonies like during the 90s? 90 के दशक के समय गाँव की शादी समारोह में न टेंट हाऊस थे और न कैटरिंग, थी तो बस सामाजिकता। गांव में जब...
बामणी गांव का अनूठा ‘नंदालोकोत्सव! बद्रीनाथ मंदिर के पास स्थित है।
नीलकंठ पर्वत से भंवरे के रूप में मायके आती है मां नंदा, भगवान नारायण स्वयं बनते हैं साक्षी। बामणी गांव बद्रीनाथ मंदिर के पास ही स्थित है यहाँ के निवासी 6 महीने पांडुकेशर और 6 महीने बामणी गांव में निवास करते हैं। समुद्रतल से 10250...