पुराने लकड़ी के घर आमतौर पर ग्रामीण इलाकों या पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं और अपनी अनोखी वास्तुकला और पारंपरिक शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध होते हैं। इन घरों का निर्माण मुख्य रूप से स्थानीय रूप से उपलब्ध लकड़ी से किया जाता है, और...
विलुप्त होती घर के छत लगाने की प्राचीन और पक्की विधि स्लेट वाली छतें।
विलुप्त होती घर के छत लगाने की प्राचीन और पक्की विधि स्लेटों का स्थान अब चादरों ओर पक्के लंटरों ने ले लिया है न हुन सह मिस्त्री रहे न हुन सैल रहे न पुराने घर रहे जो सारे जो इक बनाई के रखे थे थोड़ा...
पहाड़ी जिंदगी प्रकृति से जुड़ी, सादगी पूर्ण और संघर्ष पूर्ण होती है।
पहाड़ी जिंदगी प्रकृति से जुड़ी, सादगी पूर्ण और संघर्ष पूर्ण होती है। पहाड़ों में रहने वाले लोग कठिन जीवन जीते हैं क्योंकि वहां की भौगोलिक परिस्थितियाँ चुनौतीपूर्ण होती हैं। मौसम की विविधताएँ, ठंडी हवा, ऊँचाई और बर्फबारी जैसी प्राकृतिक समस्याएँ रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा...
गाँव के मुहाने वाला घर जहा सब मिल दातुली मे धार लगाते थे।
गाँव के मुहाने वाला घर जहा सब मिल दातुली मे धार लगाते थे। इसी बहाने चार उनकी सुन लेते चार लगे हाथ अपनी कह देते।
ऐसे मकान होते हैं अपने पहाड़ों (उत्तराखंड) में यह मकान पहाड़ी मिस्त्री के द्वारा बनाया गया है।
ऐसे मकान होते हैं अपने पहाड़ों में यह मकान पहाड़ी मिस्त्री के द्वारा बनाया गया है। अपने आप में अद्भुत इसकी दिखावट शानदार है आजकल देखने को मिल रहा है पहाड़ों में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है धीरे-धीरे इस प्रकार के मकान की जो...
बेडू तो पकता नही 12 महीने फिर बेडू पाको बारमाशा क्यों?
बेडु पाको बारा मासा.. यह गीत अल्मोड़ा के सुप्रसिद्ध कलाकार बृजेन्द्र शाह का लिखा हुआ है। इसे 1952 में मोहन उप्रेती और ब्रजमोहन शाह ने गाया था यह गीत उसी दौर में तीनमूर्ति भवन में एक अंतरराष्ट्रीय समरः में गया गया था। बाद में गढ़वाल...
बाल मिठाई अल्मोड़ा उत्तराखंड की बहुत स्वादिष्ट मिठाई है और बच्चों में भी बहुत लोकप्रिय है।
बाल मिठाई अल्मोड़ा उत्तराखंड की बहुत स्वादिष्ट मिठाई है और बच्चों में भी बहुत लोकप्रिय है।
चण्डीगढ़ की सबसे पुरानी रामलीला गढ़वाल रामलीला सैक्टर – 22 के कलाकारों ने शुरू की रामलीला की रिहर्सल।
चण्डीगढ़ 7 सितंबर। यहां सितंबर का महीना भी शुरू हुआ वहां रामलीला की रिहर्सल शुरू हो गई हैं। चंडीगढ़ में लगभग 42 जगहों पर रामलीला का मंचन होता है। जिनमें से लगभग आधी रामलीलाओं का मंचन उत्तराखंड समाज के लोगों द्वारा किया जाता हैं। गढ़वाल...
उत्तराखंड की “पहाड़ी बाखली” हर तरफ शांति और सुकून,खूबसूरत पहाड़ों की वादियाँ।
उत्तराखंड की “पहाड़ी बाखली” ❤️😘 हर तरफ शांति और सुकून,खूबसूरत पहाड़ों की वादियाँ।
भ्यूंडार घाटी का नंदाष्टमी पर्व। फुलारी, ब्रहमकमल, दांकुडी और नंदा के जैकारों से जागृत हो उठता है माँ नंदा का थान
10 सितम्बर से 13 सितम्बर तक होगा भव्य आयोजन। हिमालय की अधिष्टात्री देवी माँ नंदा, यहाँ के लोक में इस तरह से रची बसी है कि नंदा के बिना पहाड़ के लोक की परिकल्पना ही नहीं की जा सकती है। नंदा से अगाढ प्रेम की...