क्या आपने भी देखी पनचक्की? Did you also see the watermill?
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में जब बिजली जैसी चीजें उपलब्ध नही थी तब पानी से चलने वाले पनचक्की हुवा करते थे जिसे पानी के तेज बहाव को गौत की लकड़ी का बड़ा सा पाइप बना कर उस से सीधे लड़की के पंखों में पानी डाला जाता था जिस से पंखा तेजी से घूमता था पंखे के ऊपर लगी लम्बी लकड़ी को ऊपर वाले कमरे में सिलबट्टा जैसे पत्थर से जोड़ा जाता था जब लकड़ी के मजबूत पंखुड़ी पानी के बहाव से तेजी से घूमने लगते तो दोनों पत्थर भी घूमते थे जिसमें गेंहू, जौ ,मसाले, जैसी चीजें पिसती थी । उस वक्त इसे पीसने वाले पैसे नही लेते थे बल्कि थोड़ा सा अनाज का हिस्सा लेते थे । फिर डीजल चक्की आ गयी फिर बिजली वाली अब पिसाई तो इनमें भी होती है लेकिन इसमें अनाज गर्मी से जलने लगता है जिस से उसमे पोषक तत्व भी जल जाता है जबकि पनचक्की में शुद्व अनाज निकलता था यही कारण था तब पहाड़ो में बलशाली लोग होते थे।