दिसंबर के आखरी हफ्ते 1990 की बात है। शिमला से कोई 45 किलोमीटर आगे नालदेहरा में हिमाचल पर्यटन के “होटल गोल्फ ग्लेड” में अपने मित्र के साथ दो दिन के लिए रुका हुआ था। सर्दी अपने शबाब पर थी। बर्फ तो नहीं थी पर फ्रीजिंग टेम्परेचर था। बाहर पानी रखने पर जम जाता था। शाम को हम लोग रेस्टोरेंट बार मे अपनी धूनी जमा लेते थे जहां होटल वालों ने सिगड़ी जैसी चिमनी बना रखी थी। गर्म पानी के साथ ओल्ड मोंक रम और चिल्ली पनीर का लुत्फ हम देर तक लेते थे। लाइव गजल का प्रोग्राम चलता रहता था।
हर दूसरी फरमाइश “किसी नजर को तेरा इन्तेजार आज भी है” की ही होती थी। आज जब कभी भी यह गज़ल सुनता हूँ तो वही समय आंखों के सामने आ जाता है। शादी की उन दिनों तीव्र इच्छा रहती थी बाय गॉड 😝😝 और जब सामने हनी मून कपल नजर आते थे तो इच्छा और अधिक प्रबल हो जाती थी 🙈🙈 शुरू से रोमांटिक किस्म के रहे हैं। यूँ समझ लो मेरा नाम जोकर के ऋषि कपूर 😛 पर हाय री किस्मत शादी को 30 साल होने को आए पर नालदेहरा में होटल गोल्फ ग्लेड में रुकने की इच्छा पूरी न हुई। 2-4 बार जाना भी हुआ पर रुके कहीं और।
रोमांटिक लोगों की एक प्रॉब्लम यह भी होती है की सपने बहुत देखते हैं। और कुछ सपने तो उन के साथ ही चले जाते हैं। बहराहल जल्द ही अपने इस सपने को पूरा करूंगा। मालूम नहीं कि वहां अब गजल होती है या नहीं….यदि हुई तो “सागर” साहब से हम भी गुजारिश करेंगे की हमे हमारे अतीत में ले चलो। मेरी डिम्पल कपाड़िया तो साथ होगी ही