पहाड़ों के सीढ़ीदार खेत कभी भोले भाले पहाड़ी लोगों की जीवनशैली का मुख्य हिस्सा थे। समय के साथ आज सब बंजर हो गए है। अब इन खेतों में कोई मेहनत नही करना चाहता है। गांव आजकल केवल बृद्ध लोगों का बसेरा बन गया है। सभी नौजवान अपनी रोजी रोटी के लिए बड़े शहरों में निवास करते है, और उनके बच्चे उत्तराखंड के शहरों में। गाँव अब केवल पूजा या अन्य किसी पर्व विशेष पर ही आना होता है। क्या ऐसा समय आएगा कि सभी फिर से गाँव की तरफ लौटेंगे? अपनी राय जरूर दीजिये🙏







