Home » Uttarakhand Tourism » पहाड़ों मे जाती हुई बारिश का महीना है, फिर भी बारिश जाने का नाम नहीं ले रही।

पहाड़ों मे जाती हुई बारिश का महीना है, फिर भी बारिश जाने का नाम नहीं ले रही।

जाती हुई बारिश का महीना है, फिर भी बारिश जाने का नाम नहीं ले रही। टिन की छत वाले घर में रहता हूं, सुबह के 3:00 बजे हैं , छत से बारिश का मधुर संगीत सुनाई दे रहा है। खुली हुई खिड़की से बाहर देखा, छोटे-छोटे बादल , मेरे आंगन में नाच रहे हैं, आतुर हैं जैसे, भीतर आने को।


दूर जलता हुआ बादलों से ढका पालिका का लैंप- पोस्ट धुंधला, बहुत धुंधला हो गया है रोशनी की आभा भर शेष है।
बारिश के संगीत को सुनते, बादलों को देखते ,करवट बदलते एक घंटे से अधिक का वक्त बीत गया है ,सुबह के 4:30 बज गए हैं अलार्म आज भी बिना सुस्ताए, घन – घना रहा है , रोज इस वक्त हलचल कर देने वाले बच्चे , अभी भी गहरी नींद में पड़े हैं, रात सोने से पहले उन्हें मौसम के अलर्ट और उस पर जिलाधिकारी की छुट्टी की खबर लग चुकी थी , सोने से पहले ही वह चैन की मुद्रा में आ गए थे, अब चैन से सो रहे हैं.., अलबत्ता एक दूसरे की पीठ पर रखी हुई लातें, इस बात का सबूत दे रही है रात सोने से पहले बच्चों के बीच खूब लात युद्ध हुआ है।

यह भी पढ़िये :-  यह एक परफेक्ट जगह लगती है जहां आप थकावट मिटा सकते हैं और प्रकृति के साथ जुड़ सकते हैं।


एक बार स्नूज़ किया अलार्म 10 मिनट बाद फिर घन -घना गया है, इस बार आवाज कुछ तेज है ,अलार्म मानो उठने की अंतिम चेतावनी दे रहा है । मैं उठा गर्म पानी पीकर नित्यक कर्मों से निवृत्त हो.. मै फिर पसर गया हूं.. बारिश का संगीत अब और तेज हो गया है.. बादल मेरे नजदीक, बहुत नजदीक आ गए हैं,मैं बादलों को छूता हुआ जाती हुई बारिश को महसूस कर रहा हूं, जैसे बरसात को विदा करते हुए मैं भीतर – भीतर आज उदास हूं, जैसे उदास होता है बिछुड़ता हुआ प्रेमी , वैसे ही आज बारिश को खूब महसूस कर रहा हूं.., उसके सरोवार को, भीतर ,बहुत भीतर रख लेना चाहता हूं तांकि उमस भरे दिनों में रह सकूं नम, एक चाय पीली है , अब दूसरी चाय की तैयारी है।

यह भी पढ़िये :-  माल्टा तो आपने बहुत खाया होगा, लेकिन इसकी खूबियां भी जान लें।

About

नमस्कार दोस्तों ! 🙏 में अजय गौड़ 🙋 (ऐड्मिन मेरुमुलुक.कॉम) आपका हार्दिक स्वागत 🙏 करता हूँ हमारे इस अनलाइन पहाड़ी 🗻पोर्टल💻पर। इस वेब पोर्टल को बनाने का मुख्य उद्देश्य 🧏🏼‍♀️ अपने गढ़ समाज को एक साथ जोड़ना 🫶🏽 तथा सभी गढ़ वासियों चाहे वह उत्तराखंड 🏔 मे रह रहा हो या परदेस 🌉 मे रह रहा हो सभी के विचारों और प्रश्नों/उत्तरों 🌀को एक दूसरे तक पहुचना 📶 और अपने गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति 🕉 को बढ़ाना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*