लगभग एक ही ढर्रे पर चल रहे गीतों से बोर हो चुके पहाड़ियों को कुछ अलग सुनाने की कोशिश करने वाली प्रियंका महर की अब तक की यात्रा बड़ी कमाल की रही है। सोशल मीडिया की बढ़ती पहुंच के बीच कुछ सालों पहले जब प्रियंका महर को लोगों ने फेसबुक या इंस्टा आदि पर उत्तराखंड के पुराने गीत गाते देखा तो तभी से कई युवा प्रियंका के मुरीद होने लगे।
इसके बाद इन्होंने काफ़ी कुछ सीखा, कुछ गानों के कवर सॉन्ग गाए कुछ मैशअप तैयार किए लेकिन इन्हें पहचान मिली एक ही तरह से बन रहे कुमाऊनी–गढ़वाली गीतों पर कुछ नए प्रयोग करने के बाद। वहीं से यह उत्तराखंड के बड़े वर्ग तक पहुंची।
इनके चैनल पर पहला हिट गाना “रण सिंह बाजो” साल 2019 में आया जिसके बाद इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और इनकी कामयाबी के साथ- साथ उत्तराखंडी गानों में नए तड़के का आरंभ हो गया। चाहे “घूमें दे” हो, “नींद चोरी” हो, “धना” हो, “राजुला मालूशाही” हो या कुछ और इनके हर गाने में एक फ्रेशनेश हमेशा रही। हालांकि इस सबका श्रेय केवल प्रियंका को नहीं दिया जा सकता उनकी टीम बहुत तगड़ी है।
लेकिन जो भी हो इस सब में प्रियंका महर एक ब्रांड बनकर उभरी। वैसे तो लाखों लोग प्रियंका को एडमायर करते हैं, मगर मैं देखता हूं कि बहुत से पहाड़ी प्रियंका को पसंद नहीं करते, उनके कमेंट्स में या वीडियो में प्रियंका की निंदा करते हैं, कभी ड्रेसिंग सेंस को लेकर तो कभी किसी और वजह से। मगर सच यही है कि प्रियंका की वजह से हमारे यूथ का एक बड़ा हिस्सा कुमाऊनी-गढ़वाली गीतों को सुनता है, ना केवल पहाड़ी बल्कि गैर उत्तराखंडी भी प्रियंका का फैन है।
MeruMuluk.com प्रियंका और उनकी टीम को बधाई देता हूं, खूब आगे बढ़ें और उत्तराखंड के म्यूजिक इंडस्ट्री में नवीन प्रयोग करते रहें और सुन्दर-सुंदर गाने रचते रहें।