उत्तराखण्ड संगीता ढौंढियाल, आज उत्तराखंड की चर्चित गायिका हैं, गायन के साथ ही संगीता जी की रूचि नृत्य एवं रंगमंच में भी है। वर्त्तमान में संगीता ढौंढियाल देहरादून में निवास करती हैं लेकिन इनकी जड़ें पौड़ी गढ़वाल से आज भी जुडी हैं इनका गाँव पौड़ी गढ़वाल के बैजरों स्थित ग्राम बमराड़ी है। बचपन से ही इन्हें संगीत में काफी दिलचस्पी रहती थी, संगीता जब महज 5 वर्ष की थी तो तब ही मंच पर पहुंच गई थी।
संगीता जी ने बहुत ही छोटी उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था इतने वर्षो की मेहनत एवं लगन व् संगीत गुरुओं से संगीत सीखने के बाद वर्ष 1997 में उन्होने एक पेशेवर गायक के रूप में अपना पहला गाना गाया। इसी दौरान उन्होने टी-सीरीज में भी ऑडिशन दिया था, जिसके बाद एल्बम “बांद रौतेली” जो दिनेश उनियाल जी की पहली एल्बम रही जिसमे उन्हे गीत गाने का मौका दिया। अब तक उन्होने T-series, रामा कैसेट्स, नीलम, रामी आदि प्रॉडक्शन के लिए 600 से अधिक एल्बम्स में गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी, हिमाचली, नेपाली, अवधि, भोजपुरी और हिन्दी गीत गए है। उत्तराखंड सहित देश दुनिया में कई मंचों पर संगीता ढौंढियाल ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीता है…!
संगीता जी कहती है कि हमारा मकसद पूरी दुनिया में अपनी गढ़वाली संस्कृति का प्रसार करना है, और इसके लिए न केवल मैं, सभी कलाकार अपने तरीके से काम कर रहे हैं, एक समय था जब कुछ ही गायक हुआ करते थे और आज आप देखेंगे कि बाजार मेँ विविधता है लोग इसका आनंद ले रहे हैं और हमसे और बेहतर की माँग कर रहे हैं संगीता ढौंडियाल जी का कहना है कि वो अपने काम की गुणवत्ता को ज्यादा महत्त्व देती हैं इसीलिए भले ही देर लगे लेकिन दर्शकों को कुछ अच्छा देखने को मिले, लीक से हटकर काम करना उन्हें पसंद है और शायद यही कारण है आज भी संगीत ढौंडियाल का फैन बेस इतना मजबूत है कि उनके लाइव शो लोगों को बेहद पसंद हैं।