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स्वरोजगार की मिसाल दे रही हैं पौड़ी की बसंती नेगी। Swarojgaar Ki Misal de rahi hai Pauri ki Basanti Negi.

स्वरोजगार की राह को अपनाकर कर रही अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत, सड़क किनारे पहाड़ी सब्जियां बेचकर परिवार की आर्थिकी को कर रही सुदृढ़। आप ही हो पहाड़ की वो नारी जो पड़ती हैं सबपर भारी जय देवभूमि उत्तराखंड।  🙏 यह आईना है...

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बद्री दत्त बमोला, जिन्हें बद्री महाराज के नाम से जाना जाता था, फिजी में विधान परिषद के पहले भारतीय सदस्य थे।

1928: बद्री दत्त बमोला, जिन्हें बद्री महाराज के नाम से जाना जाता था, फिजी में विधान परिषद के पहले भारतीय सदस्य थे। उन्होंने 1916 से 1923 और 1926 से 1929 के बीच दो बार फिजी में विधान परिषद में मनोनीत सदस्य के रूप में कार्य...

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कभी-कभी हमें ऐसे रास्तों पर भी चलना चाहिए जहां पर गाड़ी नहीं जाती।

आप एक अलग एहसास को महसूस करेंगे और प्रकृति का जो रूप आपको देखने को मिलेगा वह अपने आप में बहुत ही अद्भुत होगा जो भी फोटो मुझे अच्छी लगती है मैं उसे जगह का नाम, वहां के बारे में जानकारी अपने पास जमा कर...

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उत्तराखंड की शादीयों में “अरसे” बनाने की रस्म जरूरी है।

अरसा बनने की तैयारी शुरू पहाड़ों में शादी-ब्या सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि हर रस्म में बसा होता है एक गहरा एहसास। जब कोई बेटी अपने मायके से विदा होकर ससुराल जाती थी, तो उसकी विदाई को खास बनाने के लिए घर के बुजुर्ग अड़से...

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कोदे की रोटी खाने का आनंद ही अलग है खासकर जब भूख लगी हो।

कोदे की रोटी खाने का आनंद ही अलग है खासकर जब भूख लगी हो- जब कभी हल लगाकर और जंगल में लकड़ी काटकर घर आता तो घी और गुड़ के साथ या ऐसे ही खा जाता था वो दिन कभी लौट भी आएंगे कि नहीं...

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1858 में  लंढौर मसूरी का रंगीन स्केच। पेंटिंग पर लिखा है ‘लंढौर हाउस’। Colour sketch of Landour, Mussoorie, 1858. The name on the painting is ‘Landour House’.

1858 में  लंढौर मसूरी का रंगीन स्केच। पेंटिंग पर लिखा है ‘लंढौर हाउस’। वैसे तो मैंने 1800 के दशक के मसूरी के कई स्केच देखे हैं, लेकिन उनमें से कोई भी रंगीन नहीं था। 1858 का यह रंगीन स्केच इस मायने में खास है।

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उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले के मुकुल बडोनी (#Mukul_Badoni) एक प्रतिभाशाली कलाकार।

उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले के मुकुल बडोनी (#Mukul_Badoni) एक प्रतिभाशाली कलाकार हैं, जो रंगों की मदद और अपने हाथों के हुनर से किसी भी बेजान दिवार पर ब्रश मारकर उसे ऐसा बना सकते हैं कि देखने वाला देखता रह जाए। आज तक इन्होंने उत्तराखण्ड के...

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1932 मे बद्रीनाथ, वहाँ के रावल और बद्रीनाथ में रस्सी से बने पुल की तस्वीर। Photo of Badrinath in 1932, its Rawal and the rope bridge at Badrinath.

1932: बद्रीनाथ के रावल और बद्रीनाथ की तस्वीर। 1932 में बद्रीनाथ में रस्सी से बना पुल था। मंदिर प्रबंधन कर्मचारियों की पोशाक देखें। मैंने झंडा मेले के दौरान गुरु राम राय दरबार के महंत के साथ चलने वाले कर्मचारियों को भी ऐसी ही पोशाक पहने...

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