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फिर आ गया अशोज का महिना! जिसका हर पहाड़ी को इंतजार रहता !

फिर आ गया अशोज! जिसका हर पहाड़ी को इंतजार रहता ! जी हां हर पहाड़ी को ! जहां पहाड़ में रहने वाले की सारी दिनचर्या बदल जाती है और वो कमरकस के तैयार हो जाता है इस काम के महायुद्ध में दो दो हाथ करने को …! वहीं परदेसी पहाड़ी की आस भी बढ़ जाती है कि दीवाली में दो मुट्ठी भट्ट गहत मिल जायेंगे ! 

अनेकों रंग लिए होता है ये आशोज! जहां कनौव की चाय के प्यार के साथ पोल्ट के लेसू और सब्जी का स्वाद मिलता है। लूठे के रूप में पहाड़ियों का अनोखा टेलेंट दिखता है ।

और हां अगर अपनी सीमा रेखा से आगे दो पुए ज्यादा घास काट लिए तो फिर दराती दिखाते हुए सारे खानदान का श्राद्ध भी करवाता है अशोज!

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और हां कभी अगर पहाड़ियों का असली स्टेमिना और प्रोडक्टिविटी देखने का मन करे तो अशोज के महीने पहाड़ आकर देखना

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नमस्कार दोस्तों ! 🙏 में अजय गौड़ 🙋 (ऐड्मिन मेरुमुलुक.कॉम) आपका हार्दिक स्वागत 🙏 करता हूँ हमारे इस अनलाइन पहाड़ी 🗻पोर्टल💻पर। इस वेब पोर्टल को बनाने का मुख्य उद्देश्य 🧏🏼‍♀️ अपने गढ़ समाज को एक साथ जोड़ना 🫶🏽 तथा सभी गढ़ वासियों चाहे वह उत्तराखंड 🏔 मे रह रहा हो या परदेस 🌉 मे रह रहा हो सभी के विचारों और प्रश्नों/उत्तरों 🌀को एक दूसरे तक पहुचना 📶 और अपने गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति 🕉 को बढ़ाना है।

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