पहाड़ की असली पहचान वह ऊनी टोपी और सादगी से सिर पर लपेटा गया शॉल था, जो मेहनतकश जीवन और लोकसंस्कृति का प्रतीक रहा। महिलाओं के सिर का शॉल और पुरुषों की हाथ से बुनी टोपी में पहाड़ की मिट्टी की महक थी। आज फैशन के नाम पर आधुनिक रंगों-डिज़ाइनों वाली टोपियाँ उत्तराखंडी कहलाने लगी हैं, जबकि वे परंपरा से कोसों दूर हैं।







