कोदे की रोटी खाने का आनंद ही अलग है खासकर जब भूख लगी हो- जब कभी हल लगाकर और जंगल में लकड़ी काटकर घर आता तो घी और गुड़ के साथ या ऐसे ही खा जाता था वो दिन कभी लौट भी आएंगे कि नहीं यही सोचता हूँ- आप क्या सोचते हैं ? अपने अनुभव भी कमेंट में साझा करें मित्रों।
कोदे की रोटी खाने का आनंद ही अलग है खासकर जब भूख लगी हो।
ये हैं पौड़ी गढ़वाल के चौंदकोट क्वीई गाँव की नूतन पंत पहाड़ों में मशरुम उत्पादन, सब्जी उत्पादन, आदि ...
पहाड़ी क्षेत्रों मे होने वाली सब्जी ककोड़ा, मीठा करेला, परमल सज्ञा करेला और भी कई नामों से जाना जाता ह...
पंत भोजनालय कोसनी - यहाँ आपको प्यार और आदर्श को मिलावट करके खाना दिया जाता है।
पहाड़ का आदमी रिटायर होने के बाद अपनी जिंदगी भर की कमाई पूंजी देहरादून-दिल्ली में मकान बनाकर क्यों खर...