उत्तराखंड में मूलतः के बागेश्वर तहसील के अन्तर्गत मल्ली व तल्ली खरे के बीस गाँवों में परम्परागत तांबे के बर्तन बनाते हैं। सर्वेक्षणों के अनुसार पिथौरागढ़ जनपद के गंगोलीहाट, थल, बेरीनाग आदि में ९४ परिवार पूरी तरह तांबे के बर्तन इत्यादि को बनाकर इस कला को जीवित रखे हुए हैं। अल्मोड़ा जनपद में ही परम्परागत रुप से पांच सौ परिवार इस शिल्प को जीवित रखकर परोक्ष, अपरोक्ष रुप से जीविका यापन कर रहें हैं। नैनीताल अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जनपदों के पांच हजार से कुछ ज्यादा कारीगर आज भी इस पेशे को अपनाये हुए हैं। अनुमान है कि अकेले अल्मोड़ा जनपद में लगभग एक करोड़ रुपयों के तांबे की बिक्रि प्रतिवर्ष है।