एक ऐसा वक्त जब उत्तराखण्ड राज्य और वहाँ बसे लोग गहरी निराशा से जूझ रहे हैं, समस्याओं का अंत दिखता नहीं लेकिन मैं फिर भी कहूंगा सपने-उम्मीदें बरकरार हैं। एक बार फिर हिमालय के पुत्र-पुत्रियों को कहूंगा कि अपने राज्य, ज़मीन, प्राकृतिक संम्पति के ब्रांड एम्बेसडर, रक्षक और संरक्षक हम ही हैं। इसलिए ज़िम्मेदारी उठायें और सिर्फ़ उत्सव-प्रदर्शन तक सीमित ना रहें, राज्य की बेहतरी के लिए योगदान दें 🙏