Home » Culture » पंत भोजनालय कोसनी – यहाँ आपको प्यार और आदर्श को मिलावट करके खाना दिया जाता है।

पंत भोजनालय कोसनी – यहाँ आपको प्यार और आदर्श को मिलावट करके खाना दिया जाता है।

यहाँ आपको प्यार और आदर्श का मिलावट करके खाना दिया जाता है अगर आप यहाँ आये तो भूल कर भी ना खाये ना रुके क्यूंकि आपको इनके प्यार की लत लग जाएगी और आप दीवाने होजाएंगे….बात 7 जुलाई की है ज़ब मैं रानीखेत से कौसानी की तरफ जा था समय का आभाव होने की वजह से अपने होटल से बिना खाना खाये निकल आया, क्यूंकि बरसात आने को हो रही थी!

काम की भगादौड़ में सुबह का नाश्ता भी नहीं हुआ था तो मैंने सोचा की क्यों ना जल्दी से कहीं कुछ खा लिया जाये, रास्ते में बहुत से रेस्टोरेंट आये परन्तु मेरी नजर हमेशा किसी ग्रामीण की टपरी को ढूंढ़ती है क्यूंकि उनके खाने में शुद्धता और लोकल स्वाद का तड़का रहता है, तो रास्ते में एक गॉव आया ल्वेशल वहां मुझे यह एक टपरी दिखाई दी तो मैंने जल्दी से कार रोकी! वहां एक बुजुर्ग थे मैंने उनसे खाने के लिए पूछा की मिल जायेगा क्या उन्होंने बोला आजाओ बेटा जी आजाओ! मैंने उनसे बोला की जो भी है देदो मुझे देर हो रही है उन्होंने बोला आप बैठो बस में अंगीठी में आग सुलगा लू, टपरी छोटी सी थी तो मैं सर झुका कर निचे की ओर गया तो आगे जाकर 4 कुर्सी लगी थी जहाँ एक बच्चा पढ़ाई कर रहा था। 

यह भी पढ़िये :-  Singori Mithai - सिंगोरी मिठाई। देखते ही याद आया पुराना टिहरी। 

वह तुरंत उठा और तबले को साफ करने लगा और दूर कोने में जाकर पढ़ने लगा जहाँ हल्की हल्की बारिश की छींटे आ रही थी तो उसने एक पन्नी का बड़ा टुकड़ा लगा दिया उस झरोखे पर और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए एक आँख से देखा और अपनी पेंसिल को छिलने लगा गया! इतने में मेरी खाने की थाली आगयी उसमे से गर्म रोटी की महक ने भूख को सातवे आसमान पर पंहुचा दिया बस मैंने दुनिया दारी को रखी एक तरफ और खाने को लुफ्त लेना शुरू किया और मात्र 10 मिनट में खाना खत्म और पेट फूल और 2 कप चाय के साथ मुझसे पंत जी पूछते है और कुछ लाऊ मैंने कहा बस पैसे काट लो मैंने उन्हें 500 का नोट निकाल कर दिया मुझे लगा 200 से तो ऊपर ही होगा बिल तो पंत जी कहते है की बेटा जी खुल्ले देदो 60 रूपए मैं सच में हैरान था मैंने पूछा कितने रुपय होगये खाने और चाय के तो उन्होंने गुड़ देते हुए कहा की 40 रूपये खाने के और 2 कप चाय के 20 रुपय… मैंने कहा की आपने इतना सस्ता क्यों रखा हुआ है जबकि 2 दाल 2 सब्जी चावल रोटी सलाद सब कुछ दिया आपने वह भी शुद्ध….. उन्होंने कहा की जितना चाहिए उतना ऊपर वाला दे रहा है मैंने इसी दुकान से अपनी दो बच्ची कॉलेज तक पंहुचा दी और दो लड़के स्कूल पढ़ रहे है, दोस्तों उनके इस 10 मिनट के वार्तालाप ने उस खाने की थाली के स्वाद में ऐसी प्यार भरी मिलावट की ना की वह अंदर तक घुलती चली गयी और दिल दिमाग़ पर कभी ना हटने वाला उसका असर छोड़ गयी… तो अगर आप यहाँ आये और रुके तो आप भी इस मिलावट का शिकार हो जायेंगे

यह भी पढ़िये :-  ब्रह्मकमल पुष्प, छिपला केदार, मुनस्यारी। ब्रह्म कमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। 

Related posts:

उत्तराखंड की बेटी गीता ने पीरुल से पहाड़ की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की मुहीम शुरू की है।

Culture

बाल मिठाई अल्मोड़ा उत्तराखंड की बहुत स्वादिष्ट मिठाई है और बच्चों में भी बहुत लोकप्रिय है।

Culture

स्वरोजगार की मिसाल दे रही हैं पौड़ी की बसंती नेगी। Swarojgaar Ki Misal de rahi hai Pauri ki Basanti ...

Culture

पहाड़ों पर यह सब देख कर भूख लग जाती है। Seeing all this on the mountains makes one hungry.

Culture

प्रभा देवी: एक अनपढ़ महिला, जिसने खड़ा कर दिया पूरा जंगल! Prabha Devi: An illiterate woman who creat...

Uttarakhand Latest

पुराने लकड़ी के घर आमतौर पर ग्रामीण इलाकों या पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

Culture

काफल पर एक लघु कहानी - A short story on Kafal.

Culture

उत्तराखंड मे प्राचीन शैली से बने मिट्टी के घर जिन्हे "पहाड़ी कुड़ी" भी कहा जाता है।

Culture

असूज के महीने की गर्मी मैं पहाड़ी ककड़ी खाने का मन किस किस का हो रहा है।

Culture

About

नमस्कार दोस्तों ! 🙏 में अजय गौड़ 🙋 (ऐड्मिन मेरुमुलुक.कॉम) आपका हार्दिक स्वागत 🙏 करता हूँ हमारे इस अनलाइन पहाड़ी 🗻पोर्टल💻पर। इस वेब पोर्टल को बनाने का मुख्य उद्देश्य 🧏🏼‍♀️ अपने गढ़ समाज को एक साथ जोड़ना 🫶🏽 तथा सभी गढ़ वासियों चाहे वह उत्तराखंड 🏔 मे रह रहा हो या परदेस 🌉 मे रह रहा हो सभी के विचारों और प्रश्नों/उत्तरों 🌀को एक दूसरे तक पहुचना 📶 और अपने गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति 🕉 को बढ़ाना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*