Home » Uttarakhand Tourism » गुलाब जामुन की मिठाई आपने खूब खाई होगी लेकिन गुलाब जामुन का फल आपने नही खाया होगा।

गुलाब जामुन की मिठाई आपने खूब खाई होगी लेकिन गुलाब जामुन का फल आपने नही खाया होगा।

गुलाब जामुन की मिठाई आपने खूब खाई होगी लेकिन गुलाब जामुन का फल आपने नही खाया होगा इस फल का नाम गुलाब जामुन है और खाने में बहुत ही मीठा और महक गुलाब जैसी आती है। 

gulab jamun fruit
आपने वैसे तो खूब गुलाब जामुन खाए होंगे, शादियों, बर्थडे पार्टी या रेस्ट्रान्ट पर, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कई राज्यों में ऐसे पेड़ भी हैं, जहां गुलाब जामुन लगते हैं। जी हां, आपने सही पढ़ा! हम यहां मिठाई नहीं बल्कि एक तरह के फल की बात कर रहे हैं, जिसे गुलाब जामुन कहा जाता है।


बीज है लाभकारी
इस फल के जानकर इसके बीजों को न फेंकने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कई औषधीय गुण होते हैं। फल के बीज का सेवन शरीर में नए सेल्स बनाने का काम करता है। इस फल के बीज का पाउडर ब्लड शुगर स्तर को कंट्रोल कर डायबिटीज़ में फायदा पहुंचाता है।

यह भी पढ़िये :-  सतपुली और गुमखाल के बीच पहाड़ी दाल का बोर्ड जहां दिखाई दे तो थोड़ी दाल जरूर खरीदें स्वरोजगार को बढ़ाएं।

पत्ते भी पहुंचाते हैं फायदा
जिस तरह इस फल के बीज डायबिटीज में फायदा पहुंचाते हैं। उसी तरह गुलाब जामुन के पत्ते भी कम नहीं हैं। इसमें मौजूद गुण किसी भी तरह की डायबिटीज़ में फायदा पहुंचा सकते हैं। इसके लिए आपको पत्तियों को सुखाना है और फिर इनका पाउडर तैयार कर लेना है। इस पाउडर को गुनगुने पानी के साथ पी लें। इससे भी शगुर को कंट्रोल किया जा सकता है।


यह अमरूद की तरह हल्का पीले-हरे रंग का होता है। यह फल पेड़ पर फरवरी में लगना शुरू हो जाता है और अप्रैल- मई तक खाने लायक हो जाता है। इसमें एक बड़ा बीज भी होता है। 

पश्चिम बंगाल में इसे पंटुआ, गोलप जैम और कालो जैम कहा जाता है. मध्य प्रदेश का जबलपुर गुलाब जामुन के लिए काफी फेमस है। 

यह भी पढ़िये :-  Green Road "हरी सड़क उत्तराखंड की" यह तकनीक उत्तराखंड से बाहर नहीं जानी चाहिये ।

इस फल का यह पेड़ मुख्यत: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बंगाल, राजस्थान में पाए जाते हैं। इसके अलावा दक्षिण भारत उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में भी हैं और इसकी कीमत सौ रुपये से डेढ़ सौ रुपये किलो हैं। 

यह फल का पेड़ गोण्डा जिले के माँ मनसा नर्सरी गौरा चौकी बाजार में उपलब्ध है। 

Related posts:

पलायन की मार झेलता ये घर। पहाड़ो में ऐसे सेंकड़ों मकानों की जजर्र हालत बन गई है ।

Culture

रुद्रप्रयाग के त्रियुगीनारायण गांव की प्रियंका योगी तिवारी उत्तराखंड के पहाड़ों की सबसे मशहूर ब्लॉगर

Uttarakhand Tourism

यही रास्ता है इस रिसोर्ट में पहुँचने का, लगभग 7 किलोमीटर जंगल के अंदर इस सुंदर रास्ते को पार करके जा...

Uttarakhand Tourism

हर्षिल वैली उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री के रास्ते में बसी एक शांत और सुंदर घाटी।

Uttarakhand Tourism

नैनीताल और उसके आसपास सात झीलों के बारे में। About the seven lakes in and around Nainital.

Uttarakhand Tourism

कोटबाग़ रामनगर उत्तराखंड पैदल सफारी को हो जाईये तैयार। Get ready for Kotbagh Ramnagar Uttarakhand wal...

Uttarakhand Tourism

गुलमोहर के फूल को "स्वर्ग का फूल" के नाम से क्यों जाना जाता है?

Uttarakhand Tourism

भुल्ला ताल या भुल्ला झील, उत्तराखंड के लैंसडाउन में स्थित एक मानव-निर्मित झील है।

Uttarakhand Tourism

"कालागढ़" जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का अनछुआ हिस्सा। "Kalagarh" untouched part of Jim Corbett Nati...

Uttarakhand Tourism

About

नमस्कार दोस्तों ! 🙏 में अजय गौड़ 🙋 (ऐड्मिन मेरुमुलुक.कॉम) आपका हार्दिक स्वागत 🙏 करता हूँ हमारे इस अनलाइन पहाड़ी 🗻पोर्टल💻पर। इस वेब पोर्टल को बनाने का मुख्य उद्देश्य 🧏🏼‍♀️ अपने गढ़ समाज को एक साथ जोड़ना 🫶🏽 तथा सभी गढ़ वासियों चाहे वह उत्तराखंड 🏔 मे रह रहा हो या परदेस 🌉 मे रह रहा हो सभी के विचारों और प्रश्नों/उत्तरों 🌀को एक दूसरे तक पहुचना 📶 और अपने गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति 🕉 को बढ़ाना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.