Home » Culture » बेडू तो पकता नही 12 महीने फिर बेडू पाको बारमाशा क्यों?

बेडू तो पकता नही 12 महीने फिर बेडू पाको बारमाशा क्यों?

बेडु पाको बारा मासा.. यह गीत अल्मोड़ा के सुप्रसिद्ध कलाकार बृजेन्द्र शाह का लिखा हुआ है। इसे 1952 में मोहन उप्रेती और ब्रजमोहन शाह ने गाया था यह गीत उसी दौर में तीनमूर्ति भवन में एक अंतरराष्ट्रीय समरः में गया गया था। बाद में गढ़वाल राइफल और कुमाऊं रेजिमेंट की बैंड की धुन बना। राजपथ दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर अनेक बार इसका प्रदर्शन हो चुका है। 

शब्द संभवतः बाड़ू मासा था ,साधारण भाषा मे बडा महीना यानी जेट का महीना, जो बाद मे बाड़ू की बारा हो गया, हालांकि गीत को लेकर उत्तराखंड के साहित्यकारों मे हमेशा जंग ही रहती है, कोई इस गीत को नेपाल मूल का बताता है, जो समय के साथ जिसको जैसे लगा वैसा गा दिया, बाड़ू महीने से तात्पर्य जून के महीने से है, हालांकि प्रॉपर तो बेडू आसाड मे पकता है, बाकि जलवायु के हिसाब है अलग अलग जगह आगे पीछे हो जाता है, बाकि तो भगवान जाने, मै भी नाच लेता हूं। 

यह भी पढ़िये :-  बामणी गांव का अनूठा 'नंदालोकोत्सव! बद्रीनाथ मंदिर के पास स्थित है। 

Related posts:

एक दौर था जब खेतों मे क्रिकेट मैच खेले जाते थे गांव का किसी का भी अच्छी लोकेशन पर खेत चुनते थे।

Culture

पहाड़ो मैं इस टाइप के घर कितने अच्छे लगते है बिल्कुल सुनसान जगहों पर।

Culture

स्वरोजगार की मिसाल दे रही हैं पौड़ी की बसंती नेगी। Swarojgaar Ki Misal de rahi hai Pauri ki Basanti ...

Culture

ऐसे मकान होते हैं अपने पहाड़ों (उत्तराखंड) में यह मकान पहाड़ी मिस्त्री के द्वारा बनाया गया है। 

Culture

भारतवर्ष में यह परंपरा सदियों से चली आई है विशेष अवसरों पर धोती पहनकर एक साथ जमीन पर बैठकर भोजन ग्रह...

Culture

रिटायरमेंट के बाद शहरो का रुख करने के बजाय। खण्डूड़ी दंपति ने गाँव का रुख किया व 80 नाली बंजर भूमि को...

Culture

मैं केदार!अब क्या तो कहूं, कहां तो जाऊं ?

Culture

पहाड़ी क्षेत्रों में होटलो का जो स्वरूप था अब वह बदल रहा है वहां पर छोटे-छोटे कॉटेज नुमा घर बन रहे ह...

Culture

क्या आपने भी देखी पनचक्की? Did you also see the watermill?

Culture

About

नमस्कार दोस्तों ! 🙏 में अजय गौड़ 🙋 (ऐड्मिन मेरुमुलुक.कॉम) आपका हार्दिक स्वागत 🙏 करता हूँ हमारे इस अनलाइन पहाड़ी 🗻पोर्टल💻पर। इस वेब पोर्टल को बनाने का मुख्य उद्देश्य 🧏🏼‍♀️ अपने गढ़ समाज को एक साथ जोड़ना 🫶🏽 तथा सभी गढ़ वासियों चाहे वह उत्तराखंड 🏔 मे रह रहा हो या परदेस 🌉 मे रह रहा हो सभी के विचारों और प्रश्नों/उत्तरों 🌀को एक दूसरे तक पहुचना 📶 और अपने गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति 🕉 को बढ़ाना है।

Comments

  1. ललित पंत says:

    अति सुंदर ☺️

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*