सबिता पहाड़ को मानती है, खजाना जितना मेहनत करो उतना कमाओ। जहां पहाड़ के युवा दस – बीस हजार की नौकरी के लिए अपने घर व खेतों को बंजर छोड़कर शहरों में 8 से 12 घंटे तक कमर तोड़ मेहनत को मजबूर होते हैं।...
दिल्ली में 11 लाख के पैकेज को छोड़ डा. सबिता पौड़ी गढ़वाल आकर बनी प्रगतिशील बागवान।
