पहले पेड़ बचाने के लिए जवानी खपाई, अब बीज बचाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया। टिहरी गढ़वाल के विजय जड़धारी एक चलते फिरते संस्थान हैं। पारंपरिक फसलों को लेकर उनका ज्ञान, बीजों के संरक्षण को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण रोचक है। लेकिन दुर्भाग्य है कि हमने 24 साल में जड़धारी जी जैसे लोगों से कुछ नहीं सीखा। खासकर कृषि, ग्रामीण विकास जैसे मामलों में उनकी विशेषज्ञता बहुत काम आ सकती थी।
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पहले पेड़ बचाने के लिए जवानी खपाई, अब बीज बचाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया। टिहरी गढ़वाल के विजय जड़धारी।
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