Home » Culture » जलेबी सिर्फ मिठाई नहीं आयुर्वेदिक दवाई भी है।

जलेबी सिर्फ मिठाई नहीं आयुर्वेदिक दवाई भी है।

यह एक राजशाही पकवान है जिसे दूध दही या रबड़ी से खाया जाता है।

जलेबी का आयुर्वेदिक उपयोग :

  • जलेबी एक भारतीय व्यंजन है जो की जलोदर नामक बीमारी का इलाज में प्रयोग की जाती थी
  • शुगर बीमारी को नियंत्रित करने के लिए जलेबी को दही से खाते थे। 
  • खाली पेट दूध जलेबी खाने से वजन और लम्बाई बढ़ाने के लिए किया जाता था ।
  • माइग्रेन की और सिर दर्द के लिए सूर्योदय से पहले दूध जलेबी खाने को आयुर्वेद में लिखा है
  • ग्रह शांति अथवा ईश्वर का भोग में जलेबी से। 
  • आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा लिखित देवी पूजा पद्धति में भगवती को बिरयानी यानी हरिद्रान पुआ जलेबी भोग लगाने के विषय में लिखा है।
  • जलेबी माता भगवती को भोग में चढ़ाने की प्रथा है।
  • इमरती जो की उडद दाल से बनती है वो शनिदेव के नाम पर हनुमान जी या पीपल वृक्ष या शनि मंदिर में चढ़ाने काले कौवा और कुत्ते को खिलाने से शनि का प्रभाव कम होता है।
यह भी पढ़िये :-  हमारे बुजर्गो ने ऐसे घर मे अपना जीवन यापन किया है।

जलेबी बनाने की विधि

हमारे प्राचीन ग्रंथ में जलेबी बनाने की विधि संस्कृत भाषा में लिखी है साथ ही जलेबी बनाने की विधि पुराणों में भी है इसे रस कुंडलिका नाम दिया है। भोज कुतुहल में इसे जल वल्लीका नाम दिया है। गुण्यगुणबोधिनी’ में भी जलेबी बनाने की विधि लिखी है । सबसे बड़ी बात की जलेबी कुंडली के आकार की की होती है जिसका संबंध आंतो से है कब्ज का ये रामबाण इलाज है ।

Related posts:

सड़क किनारे पहाड़ी सब्जी बेच रहे नितेश सिंह बिष्ट जी स्वरोजगार कर उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में सीधा...

Culture

बिरुड़ पंचमी की शुभकामनाएं। कुमाऊं में सातू-आठू यानि गौरा पर्व मनाया जाता है।

Festival

उत्तराखंड रुद्रप्रयाग के अंगद बिष्ट ने MMA (मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स)में चीन में रविवार को हुए फ्लाईवेट...

Culture

कोदे की रोटी और पिस्यूं लूण (चटनी)। 

Culture

पहाड़ी लोग जुगाड़ी 😮 भी है "पुरानी कमीज़ से तकिये का कवर"👌Pillow cover from old shirt.

Culture

कोदे की रोटी खाने का आनंद ही अलग है खासकर जब भूख लगी हो।

Culture

वर्ष 1885 में एक ईसाई मिशनरी पत्रिका के कवर पेज पर नैनीताल झील की तस्वीर।

Culture

बंद पड़े ताले 🔐 , आँगन में उगती घास 🍀, वीरान होते पहाड़।

Culture

ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल मार्ग पर लोकल निवासी से अनुरोध हैं की वहां की जमीन किसी को ना बेचे।

Culture

About

नमस्कार दोस्तों ! 🙏 में अजय गौड़ 🙋 (ऐड्मिन मेरुमुलुक.कॉम) आपका हार्दिक स्वागत 🙏 करता हूँ हमारे इस अनलाइन पहाड़ी 🗻पोर्टल💻पर। इस वेब पोर्टल को बनाने का मुख्य उद्देश्य 🧏🏼‍♀️ अपने गढ़ समाज को एक साथ जोड़ना 🫶🏽 तथा सभी गढ़ वासियों चाहे वह उत्तराखंड 🏔 मे रह रहा हो या परदेस 🌉 मे रह रहा हो सभी के विचारों और प्रश्नों/उत्तरों 🌀को एक दूसरे तक पहुचना 📶 और अपने गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति 🕉 को बढ़ाना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*