टिहरी जिले के प्रताप नगर विकासखंड की ओण पट्टी के दो दर्जन से अधिक गांवों में कल से धान की कटाई – मंडाई की धूम मची है। उत्सव सा माहौल है। शुरू के दिन को कौंळी या लवार्त – मंड्वार्त भी कहा जाता है। पूरी पट्टी में 9 गते असूज धान कटाई और मंडाई शुरू करने का दिन निर्धारित होता है और फिर अगले कुछ दिन तक चलता रहता है।
रोपाई का भी दिन 9 गते आसाढ़ निर्धारित होता है और इस तरह रोपाई से ठीक 3 महीने में धान की फसल पक जाती है। जिनकी कम खेती है एक दिन में निपटा देते हैं। जिनकी अधिक है, कुछ दिनों तक चलती रहती है। ग्रामीण अपने आराध्य भूम्याळ देवता ओणेश्वर से अनुमति लेकर कटाई – मंडाई शुरू करते हैं।
इस बार बारिश भी ठीक-ठाक रही तो धान की फसल भी ठीक-ठाक ही हुई है। अच्छी बात यह भी रही कि धान कटाई के पहले दिन कल से लेकर आज तक मौसम साफ बना हुआ है।
ओण पट्टी लंबगांव से प्रताप नगर के बीच करीब 15 किलोमीटर में फैली है। करीब 30 गांव है। सिंचित भूमि सीमित ही है। छोटी जलधाराओं से निकाली गई छोटी छोटी नहरें हैं। कोई बड़ा गाड गधेरा भी नहीं है। जलकुर नदी काफी निचली घाटी में बहती है। असिंचित भूमि में धान प्रायः नहीं उगाया जाता।
आस – पास के शहर – कस्बों में नौकरी या रोजगार करने वाले लोग भी धान कटाई – मंडाई के इस काम में हाथ बंटाने गांव पहुंचे हैं। गांवों में रौनक कुछ बढ़ गई है। कुछ इसी उत्साह से रोपाई भी लगाई जाती है।