Home » Dharmik » दुनिया को पृथ्वी के गोल होने का कन्फर्म ज्ञान आज से 500-600 साल पहले मिला, जबकि यह मूर्ति जगन्नाथ मंदिर में हजारों साल पहले से है।

दुनिया को पृथ्वी के गोल होने का कन्फर्म ज्ञान आज से 500-600 साल पहले मिला, जबकि यह मूर्ति जगन्नाथ मंदिर में हजारों साल पहले से है।

इस मूर्ति को गौर से देखो। 

यह विष्णु भगवान के वराह अवतार की है जिसमे वह पृथ्वी को समुद्र में से निकालते हुए दिखाए गए है। 

अब सबसे बड़ा आश्चर्य ये होता है की इसमें पृथ्वी का आकार गोल दिखाया गया। 

और दुनिया को पृथ्वी के गोल होने का कन्फर्म ज्ञान आज से 500-600 साल पहले मिला, जबकि यह मूर्ति जगन्नाथ मंदिर में हजारों साल पहले से है।

इसी लिए तो हमारे विषय का नाम भी भू गोल रखा, भू चपटे भी रख सकते थे, क्योंकि हमे ज्ञान था की पृथ्वी किस आकार की है।

Related posts:

समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों का रहस्य। The secret of the fourteen gems obtained from the Samud...

Dharmik

रावण का कैलाश पर्वत को उठाना, जीवन की बहुत बड़ी सीख है। 

Dharmik

जब कृष्ण वृंदावन छोड़ कर मथुरा की तरफ प्रस्थान करने लगे तो राधा से अंतिम विदा लेने यमुना के घाट पर प...

Dharmik

श्री त्रिलोकनाथ मंदिर, मंडी, हिमाचल प्रदेश। Shri Triloknath Temple, Mandi, Himachal Pradesh.

Dharmik

गोबर-गणेश की पूजा कैसे की जाती है क्या है इसकी विधि?

Dharmik

माँ ज्वाल्पा देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड। Maa Jwalpa Devi Temple, Pauri Garhwal, Uttarakhand.

Dharmik

भ्यूंडार घाटी का नंदाष्टमी पर्व। फुलारी, ब्रहमकमल, दांकुडी और नंदा के जैकारों से जागृत हो उठता है मा...

Dharmik

क्या जम्बूद्वीप का ही अर्थ सनातन साम्राज्य है? Does Jambudweep mean the Eternal Empire?

Dharmik

क्या है शिवजी के नाग, डमरु, त्रिशूल, त्रिपुंड धरण करने और नंदी की कथा?

Dharmik
यह भी पढ़िये :-  रावण का कैलाश पर्वत को उठाना, जीवन की बहुत बड़ी सीख है। 

About

नमस्कार दोस्तों ! 🙏 में अजय गौड़ 🙋 (ऐड्मिन मेरुमुलुक.कॉम) आपका हार्दिक स्वागत 🙏 करता हूँ हमारे इस अनलाइन पहाड़ी 🗻पोर्टल💻पर। इस वेब पोर्टल को बनाने का मुख्य उद्देश्य 🧏🏼‍♀️ अपने गढ़ समाज को एक साथ जोड़ना 🫶🏽 तथा सभी गढ़ वासियों चाहे वह उत्तराखंड 🏔 मे रह रहा हो या परदेस 🌉 मे रह रहा हो सभी के विचारों और प्रश्नों/उत्तरों 🌀को एक दूसरे तक पहुचना 📶 और अपने गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति 🕉 को बढ़ाना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*