हर क्षेत्र में खाना बनाने का तरीका अलग अलग है मसाले भी अलग अलग होते हैं और तड़के भी अलग तरीके से लगाए जाते है।
तुम्हारे शहर मे चाट के नाम पर आलू कि टिक्की मिलती होगी मगर उत्तराखण्ड मे बहुत सस्ती इस चाट के आगे शहरों की अच्छी से अच्छी चाट भी फेल है शहरों में आपको ऐसे पत्तो में चाट नही मिलेगी लेकिन उत्तराखण्ड के गांवो में आज भी मिलती है।
आइये पत्तल की परंपरा को पुनर्जिवित करे जाने किया है पत्तलों से लाभ सबसे पहले तो इन्हें धोना नहीं पड़ेगा हम खाने के बाद सीधा मिटटी में दबा सकते है यह केमिकल युक्त है क्योंकि केमिकल द्वारा शरीर को आंतरिक हानि पहुंचती है हरी पत्तलो का प्रयोग करे प्रदूषण भी घटेगा आजकल हर जगह शादी ब्याह जन्मदिवस की पार्टियों में डिस्पोजेबल की जगह इन पत्तलों का प्रचलन करना चाहिए।
बचपन से देखता आया हूँ पत्तलों का उपयोग महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करता था विशेषकर धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में पत्तलों का उपयोग भोजन परोसने के लिए किया जाता था इन पत्तलों के कई फायदे हैं जो न केवल स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं।
स्वास्थ्य संबंधी लाभ: रासायनिक मुक्त: पत्तलों में किसी प्रकार का रासायनिक पदार्थ नहीं होता है, जिससे भोजन पूरी तरह से सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक रहता है इन पत्तलों का एक बार उपयोग करने के बाद उन्हें फेंक दिया जाता है, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है आयुर्वेद के अनुसार, कुछ प्रकार की पत्तलों
जैसे केले और साल के पत्तों में औषधीय गुण होते हैं जो पाचन तंत्र के लिए लाभकारी होती हैं।
यह हरे हरे पत्तो कि पत्तले जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं पत्ते हमें जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए खुश रहने की प्रेरणा देते हैं जबकि टहनियां एक-दूसरे के साथ खड़े रहने का महत्व बताती हैं ऐसे छोटे-छोटे सबक हमें जीवन में सकारात्मकता और सहयोग का अनुभव कराते हैं।