विलुप्त होती घर के छत लगाने की प्राचीन और पक्की विधि स्लेटों का स्थान अब चादरों ओर पक्के लंटरों ने ले लिया है न हुन सह मिस्त्री रहे न हुन सैल रहे न पुराने घर रहे जो सारे जो इक बनाई के रखे थे थोड़ा होर समय निकलना दिया फिर होलि होलि फिर पैसे खर्च करी के हाँह दे बच्चे बोला करना में कुदरती घर बने दिखना वास्ते इतने रुपए खर्च करी के गिया था हुन कोई किम्मत नही समझा दा इन्हा घरों की जालि सब खत्म होई जाने तालियां पता लगना की आसां क्या किया।