उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले अंगद बिष्ट ने एक बार फिर अपने अदम्य साहस और कठोर परिश्रम से देश का नाम रोशन कर दिया है। अंगद ने चीन में आयोजित विश्व की सबसे खतरनाक फाइट MMA (मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स) के मुकाबले में जीत हासिल कर न केवल अपनी योग्यता साबित की, बल्कि पूरे देश को गर्वित कर दिया।
चीन में रविवार को हुए फ्लाईवेट कैटेगरी के इस खतरनाक मुकाबले में अंगद ने फिलीपींस के जॉन अल्मांजा को शानदार पैंतरों से मात देकर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली। उनके इस प्रदर्शन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय एथलीट्स किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर पीछे नहीं हैं। अंगद की इस जीत को टेक्निकल नॉकआउट (TKO) के आधार पर दर्ज किया गया, जिसने उनकी काबिलियत को और भी स्पष्ट किया।
अंगद, जिन्होंने देहरादून में रहकर एक ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की है, अब तक कई वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में जीत हासिल कर चुके हैं। 🏋️♂️ उन्होंने अपने ही जैसे कई युवा एथलीट्स को ट्रेनिंग देकर आगे बढ़ाया है और अपने राज्य के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं। लेकिन उनके इस सफर में कठिनाइयों की कमी नहीं थी। एक साधारण परिवार से होने के बावजूद, अंगद ने अपनी मेहनत और समर्पण से वो मुकाम हासिल किया है, जिसे पाने का सपना कई लोग देखते हैं।
अंगद अब सेमीफाइनल में कोरिया के रेसलर चाई डोंग के खिलाफ रिंग में उतरेंगे। यह मुकाबला भी बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है, लेकिन अंगद की आत्मविश्वास से भरी तैयारी ने उन्हें इस चुनौती के लिए पूरी तरह से तैयार कर दिया है। 🥋 उनकी इस जीत ने उत्तराखंड के युवाओं के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त किया है, जिससे वे भी अपने सपनों को साकार कर सकें।
अंगद के पिता ने उन्हें डॉक्टर बनने का सपना दिखाया था, लेकिन आज जब अंगद ने देश और दुनिया में अपनी पहचान बना ली है, तो उनके माता-पिता को उन पर गर्व है। अंगद के इस सफर में उनके परिवार का साथ और समर्थन हमेशा बना रहा, जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया।
अंगद का कहना है कि आज के समय में उत्तराखंड के कई युवा गलत दिशा में जा रहे हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि इन युवाओं को सही मार्गदर्शन मिले और वे अपने जीवन में सफल हों। उनके इस मिशन ने उन्हें एक सच्चा लीडर बना दिया है, जो न केवल खुद आगे बढ़ रहा है, बल्कि अपने साथ कई औरों को भी सफलता की राह पर ले जा रहा है।