उत्तराखंड ,जौनसार बावर का सुप्रसिद्ध वाद्य ढोल की जुगलबंदी जरूर देखें । जौनसार बावर में आज भी इस कला के निपुण लोग पर्याप्त संख्या में मिल जाएंगे। नवयुवक भी शौकिया तौर पर ही सही इस वाद्य को बजाने में पारंगत है।
जौनसार बावर की संस्कृति केवल नाच – गाने व बादल एवं वाद्य यंत्रों तक सीमित नहीं है।
यहां का रहन सहन, सामूहिक जीवन पद्धति , तीज त्यौहार, परस्पर सहकारिता की भावना , विभिन्न त्योहारों को मनाने की पद्धति यह भी एक संस्कृति का अंग है l जो मुझे लगता है कि सबका साथ सबका विकास यहां के संस्कृति की मूल पहचान है।